फर्रुखाबाद: “हम दो हमारे दो” जब इस नारे को साकार कराने की जिम्मेदारी साधे लोग ही लापरवाही कर बैठे| करोडो खर्च कर “आशा” से लेकर आंगनबाड़ी की कार्यकत्री तैनात कर जनसंख्या वृद्धि पर निगरानी और अंकुश लगाने की सरकारी कोशिश नाकाम है| हजारो करोड़ का बजट बेकार जा रहा है| ये साबित करने के लिए एक उदहारण काफी नहीं है मगर नजीर तो बनता ही है| लोहियां अस्प्ताल में तैनात सरकारी डॉक्टर के द्वारा की गयी नसबदी के बाद चांदनी और राजू बेपरवाह हो गए और चांदनी की कोख से नसबंदी के 7 महीने बाद ही वालीबाल टीम का छटवा सदस्य पैदा हो गया| पहले से ही 5 बच्चो का बाप जो रिक्शा चलाकर परिवार का गुजर बमुश्किल से कर पाता है डॉ अचला की लापरवाही से पैदा हुए नए छठे सदस्य का बोझ कैसे उठाएगा ये बात उसे खाये जा रही है|
हैवतपुर गढ़िया स्थित काशीराम कॉलोनी निवासी चांदनी पत्नी चन्दन (राजू) ने दिनांक 10/05/2013 को लोहिआ अस्प्ताल में नसबदी करायी थी| उसे नसबंदी के दौरान मिलने वाली प्रोत्साहन धनराशि 600 रुपये भी मिले थे| चन्दन से शादी के बाद चांदनी ने हर साल एक एक कर 8 बच्चे पैदा किये| दो भगवान् को प्यारे हो गए| 10 साल की वर्षा से लेकर 2 दिन की आभा चांदनी के अब छह बच्चे हो गए है| पञ्च बच्चो के बाद चांदनी ने नसबंदी करा ली मगर वो भी बेकार हो गयी| और चांदनी को छठा बच्चा पैदा हो गया|
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चांदनी के पति राजू ने वकील से सलाह कर डॉक्टर के खिलाफ शिकायत कर छठवे बच्चे की परवरिश की जिम्मेदारी डॉ अचला से मांगने की तौयारी कर ली है| विशेसञो के अनुसार अगर किसी डॉक्टर की लापरवाही से अगर नसबदी फेल हो जाती है तो बच्चे पैदा हो जाने पर संबंधित डॉक्टर को पैदा हुए बच्चे की पूरी परवरिश का खर्चा उठाना पड़ेगा| फिलहाल तो चांदनी के घर बिन बुलाये खुशिया आयी है जो एक बोझ बन कर दम्पत्ति को परेशान कर रही है|
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