नई दिल्ली: आाम आदमी पार्टी (आप) में अरविंद केजरीवाल के अलावा मुख्यमंत्री पद के लिए दूसरे नाम पर भी विचार हो रहा है। केजरीवाल स्वयं कह चुके हैं कि नीयत साफ हो तो सरकार कोई भी चला सकता है। देश में आइआइटी, आइआइएम जैसे अन्य संस्थानों में भी ऐसे लोग हैं, जो भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन के लिए पार्टी के निर्वाचित नेताओं की मदद कर सकते हैं। पार्टी केजरीवाल को सिर्फ मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारियों में बांधकर सीमित नहीं करना चाहेगी। इससे वह यह संदेश देने में भी सफल रहेगी कि केजरीवाल मुख्यमंत्री बनने नहीं आए हैं, जैसा कि वह खुद कहते भी आए हैं कि वह राजनीति में कॅरियर बनाने नहीं आए हैं। आप का यह निर्णय जनता के लिए नया और कुछ पल के लिए अप्रत्याशित फैसला जरूर लगेगा। लेकिन पार्टी बनाने से लेकर अब तक परंपरागत राजनीति से अलग आप के फैसले अचंभित करने वाले रहे हैं। ऐसे में केजरीवाल की जगह पार्टी का कोई अन्य नेता मुख्यमंत्री बने तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा।
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सरकार बनाने के लिए उपराज्यपाल नजीब जंग के बुलावे और कांग्रेस से मिले बिना शर्त समर्थन के बाद आप के कार्यकर्ता उत्साहित होकर दिल्ली वालों की राय जान रहे हैं। पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आप के सामने नई तरह की चुनौती सामने आ रही है। यदि सरकार बनाने का फैसला हो तो क्या केजरीवाल को ही मुख्यमंत्री बनाया जाए। ऐसा हुआ तो लोकसभा चुनावों को लेकर उसकी तैयारियां और रणनीति दोनों प्रभावित हो सकती हैं। इसके अलावा सरकार से बाहर रहकर वह आप को कहीं अधिक विस्तार दे सकेंगे। आप ने विधानसभा चुनाव में ऐसे लोगों को टिकट दिया था, जिन्होंने कभी सियासत में आने के बारे में सोचा भी नहीं था। खुद केजरीवाल और उनके सबसे करीबी लोगों में शामिल मनीष सिसोदिया जैसे लोग भी डेढ़-दो साल पहले तक राजनीति के बारे में सोच भी नहीं रहे थे।
मनीष सिसोदिया प्रबल दावेदार पटपड़गंज से विधायक मनीष सिसोदिया केजरीवाल के बाद पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों में सबसे वरिष्ठ नेता हैं। वैसे कुछ और नामों पर भी पार्टी के भीतर चर्चा हो रही है। लेकिन पहली कतार में शामिल नेता योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, संजय सिंह चुनाव नहीं लड़े। ऐसे में मनीष के अलावा और कोई मजबूत विकल्प नहीं है। गोपाल राय और शाजिया इल्मी चुनाव हार चुके हैं।