यह सजर ही अगर गिर गया, तो कहानी सुनाएगा कौन ….

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फर्रुखाबाद: मरहूम राज्यपाल खुर्शीद आलम खान की याद में देश के जाने माने शायरों ने अपने कलामों में देश और सियासत की हालात का जिक्र करते हुए अपनी खिराजे अकीदत पेश की। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी शायरों की नज्मो को दाद देकर सराहा। देश के जाने माने शायर राज्य सभा के पूर्व सदस्य बेकल उत्साही की सदारत में हुए मुशायरे में बसीम बरेलवी, माजिद देवबंदी, आजम शाकिरी, शबीना अदीब, पापुलर मेरठी, सुनील कुमार तंग जैसे जाने माने शायरों के कलाम सुनने के लिए विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद सहित हज़ारों लोग दे रात तक डटे रहे। यह रात अलग थी। सियासत के दांव पेंच जानने वाले लोग उर्दू के करीब बैठे थे। वैसे जावेद अख्तर, मुनव्वर राना, इमरान प्रतापगढ़ी आदि नाम दिखाई नहीं दिए।

विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने उर्दू की शमां जलाई और इसके बाद माजिद देवबंदी ने नातिया कलाम पढ़ा। इसके साथ ही मुशायरे ने पादान बढ़ना शुरू किया।
मशहूर शायर आजम शाकरी ने शेर फ़रमाया—
आँधियों में बचा कर रखो, अपने घर का बूढा सजर।
यह सजर ही अगर गिर गया, तो कहानी सुनाएगा कौन ….
तंजिया शायरी के शहेर सुनील कुमार तंग ने कलाम पढ़ा –
एक मंजिल के मुसाफिर हैं यकीनन हम और तुम ,
बस वहीँ जाकर ठहर जायेंगे जाते जाते
यह अलग बात है हैम भूंख से मर जायेंगे,
तुम भी मर जाओगे मुल्क को खाते – खाते।
मशहूर शायरा शबीना अदीब ने गीत सुनाया —
ईद आने को है , शहर सजने लगा,
मैं भी घर को सजा दूं ,
अगर तुम कहो .
कोहरे और कड़ाके की सर्दी के बावजूद लोग देर रात तक शायरी का आनन्द लेते रहे। जिला कांग्रेस अध्यक्ष अनिल तिवारी, शहर अध्यक्ष मोहम्मद इखलाक खान, बसीमुज्ज्मा खान, गुड्डू खान, मृत्युंजय शर्मा, आफताब हुसैन, वाहिद अली खान, फरीद चुगताई आदि मौजूद रहे।