नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एके गांगुली पर कार्रवाई की मांग को लेकर दबाव बढ़ता जा रहा है। भले ही उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया हो, लेकिन अब एक अंग्रेजी अखबार में पीड़ित लॉ इंटर्न के हवाले से जो हलफनामा छपा है, वो हैरतअंगेज है। पीड़ित इंटर्न ने यही हलफनामा सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों के पैनल को दिया था। लड़की के हलफनामे के मुताबिक जब वो कमरे में पहुंची तो वहां गांगुली के अलावा दो लोग और मौजदू थे। जज ने बताया की AIFF कि रिपोर्ट अगली सुबह दाखिल करनी है। इसलिए उन्होंने लड़की को होटल में रात भर रुकने और रात भर काम करने के लिए कहा।
लड़की ने लिखा है कि जज ने रेड वाइन की बोतल निकाली और मुझसे कहा की मैं थक गई हूं तो रेड वाइन पीते हुए बेडरूम में जाकर आराम करूं। हलफनामे में पीड़िता ने आगे कहा है कि वो चाहते थे कि मैं उनके साथ उन्हीं के कमरे में रुकूं मैं उनकी बात से थोड़ा सा असहज महसूस करने लगी। वो शराब की बोतल ले आए और मेरे हाथ में गिलास पकड़ा दिया। मुझे बहुत अजीब लग रहा था इसलिए मैं वहां से जल्द से जल्द निकल जाना चाहती थी। मुझे उनकी मेरे वहां रोकने की कोशिश से घबराहट होने लगी थी। जज ने मेरे विरोध पर ध्यान नहीं दिया और मुझसे कहा की मेरे लिए कमरे की व्यवस्था नहीं हुई है और मुझे उन्हीं के साथ कमरे में ही रुकना पड़ेगा।
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इसके बाद पीड़िता ने बताया है कि उन्होंने शराब पी और मुझ पर भी शराब पीने का दबाव डाला। मेरे विरोध को भांपते हुए उन्होंने कहा कि वो मेरे लौटने की पूरी व्यवस्था कर देंगे। इस बीच जज ने जल्दी-जल्दी रेड वाइन के कई गिलास पी डाले और उसके बाद रम की बोतल निकाली और उसके भी कुछ ग्लास पी गए। मैंने बमुश्किल थोड़ी सी शराब के थोड़े से घूंट ही पिए थे। जबकि वो मुझसे जल्द से जल्द मेरा गिलास खत्म करने की बात कह रहे थे। फिर मुझसे वहीं रुकने की गुजारिश की जिसे मैंने ठुकरा दिया।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की जांच कमेटी ने अपनी जांच में पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली का व्यवहार आपत्तिजनक होने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके गांगुली के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप की जांच कर रही सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय समिति ने उन्हें प्रथम दृष्टया दोषी करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस पर किसी तरह की कार्यवाही करने से इनकार कर दिया और कहा कि गांगुली घटना के वक्त सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नहीं थे। समिति ने अपनी रिपोर्ट 28 नवंबर को सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. सतशिवम को सौंप दी थी।
लॉ इंटर्न छेड़छाड़ मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चिट्ठी लिखकर राष्ट्रपति से पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके गांगुली के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। साथ ही इस मसले पर राष्ट्रीय महिला एडिशनल सोलिसिटर जनरल इंदिरा जय सिंह ने प्रधानमंत्री से इस मामले में दखल देने की मांग की है। उन्होंने पीएम से चिट्ठी लिखकर जस्टिस गांगुली को बंगाल के मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से तुरंत बर्खास्त करने की मांग की।