PNB में सीसीटीवी कैमरा केवल धोखा- हार्ड डिस्क निकली खराव

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CCTVफर्रुखाबाद: पंजाब नेशनल बैंक में लगे सी सी टी वी कैमेरे केवल शो पीस के तौर पर लगे थे| कंप्यूटर पर इसकी रिकॉर्डिंग बंद थी| पिछले काफी दिनों से इन कैमरों से रेकॉर्डिंग हो रहीहै या नहीं इस बात का भी पता नहीं चल रहा| लगातार मॉनिटर पर दिखने वाली वार्निंग के बाबजूद बैंक मैनेजर ने मैंटिनेंस का ठेंका लिए नॉएडा की फर्म को इस बारे में शिकायत दर्ज नहीं कराई। यह बात कम्पनी के इंजीनियर मनोज ने और मीडिया को बताया। इस तरह बैंक से 21 लाख 10 हजार रुपये की ठगी के मामले में खुलासे के लिए कैमरे की फुटेज की मदद मिलने कि सम्भावना ख़त्म हो गई है।
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शुक्रवार को स्वाट टीम और सर्विलांस टीम ने हार्डडिस्क को सील कराकर बैंक के ही लाकर में रखवा दिया है। दूसरे दिन भीं पुलिस खाली हाथ है और उसे कोई सुराग नहीं मिला है। फिलहाल पूरे प्रकरण में बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा रहा है। ज्ञात हो कि पंजाब नेशनल बैंक की मुख्य शाखा से अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर से 21 लाख 10 हजार रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। जालसाज एक नहीं तीन चेकों को कैश कराकर इतनी बड़ी रकम लेकर चम्पत हो गए। फर्जीबाड़ा सामने आने पर बैंक अधिकारियों के होश उड़ गए। चेकों से भुगतान के समय मिलने वाले बैंक के ५ टोकन भी गायब हैं। बैंक मेनेजर घटना को छिपाने का प्रयास करते रहे। पुलिस को सूचना देने में बहुत विलम्ब किया गया। सूचना मिलने पर पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बैंक आकर जांच और पूछताछ शुरू की। बैंक के सी सी टी वी कैमरे की हार्डडिस्क भी खराब निकली है। यानि कैमरा चलता तो दिख रहा था पर इसकी रेकॉर्डिंग सेव नहीं हो रही थी।

पंजाब नेशनल बैंक की मुख्य शाखा में जालसाजों ने फर्जी हस्ताक्षरों से तीन चेक के जरिए 21 लाख 10 हजार रुपये ले उड़ा लिए। मामला तब पकड़ा गया जब चौथी चेक बैंक मैनेजर के पास पहुंची । मैनेजर ने बताया कि चेक पर उनके हस्ताक्षर नहीं। शक के आधार पर इस चेक से ठीक पहले भुगतान की गई तीन अन्य चेकों की भी जांच की गई। उन पर किए गए हस्ताक्षर को बैंक मैनेजर ने खुद के हस्ताक्षर होने से इनकार कर दिया। इसके बाद बैंक में हड़कंप मच गया। पहले तो बैंककर्मी खुद ही जांच पड़ताल करते रहे। इतन बड़ा मामला होने के बावजूद बैंक अधिकारी मामले को छिपाने में लगे रहे। मीडिया के पहुँचने पर मैनेजर ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मैनेजर आरके सिंह एवं कैशियर वीके शुक्ला से पूछताछ की गई। इसके बाद स्वाट टीम बुलाई गई।

कैशियर के काउंटर पर बारी-बारी से तीन चेक आईं। पहली सेल्फ चेक 7.50 लाख रुपये की लगाई गई। इसके भुगतान के बाद दूसरी चेक 5.80 लाख एवं तीसरी 7.80 लाख की थी। चौथी चेक 6.50 की मिलने पर कैशियर ने हस्ताक्षर का मिलान किया। चेक पर प्रदीप कुमार नाम लिखा था, लेकिन उसके हस्ताक्षर अलग थे। हस्ताक्षर न मिलने पर वह बैंक मैनेजर के पास गया। चेक पास करने के लिए उस पर हुए खुद के हस्ताक्षर देख मैनेजर के होश उड़ गए। उसके बाद जब अन्य तीन चेकों को देखा गया तब मामला खुला। पूरे घटनाक्रम में बैंक के ही किसी अधिकारी कर्मचारी की मिलीभगत होने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा रहा है। मैनेजर आर के सिंह मेडिया को कुछ भी बताने से इंकार करते रहे। बाद में उन्होंने सीमित शब्दों में बताया कि रिपोर्ट दर्ज करा दी गयी है। पुलिस के साथ ही विभागीय जांच भी की जा रही है।