दिल्ली में सरकार बनाने पर कल पत्ते खोलेंगेः आप

Uncategorized

arvind kaejarivalनई दिल्ली। दिल्ली में सरकार बनाने का मसला लगातार उलझता जा रहा है। हालांकि उपराज्यपाल से बातचीत का न्योता मिलने के बाद आम आदमी पार्टी के रुख में आज कुछ नरमी दिखाई दी। पार्टी ने इस मसले पर विकल्प खुले होने की बात भी कही जिससे कयासों का बाजार गर्म हो गया। लेकिन आम आदमी पार्टी ने ये भी साफ किया है कि वो अपने सिद्धांत पर अडिग है यानी न किसी से समर्थन लेगी और न देगी। पार्टी नेता कल उपराज्यपाल से मिलकर अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे।

दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को बहुमत से आठ सीट कम यानी 28 सीटें दी हैं। उप राज्यपाल नजीब जंग ने बीजेपी के इनकार करने के बाद आम आदमी पार्टी को बातचीत का न्योता दिया। ऐसे में सवाल ये है कि अब क्या करेगी आम आदमी पार्टी।
[bannergarden id=”8″][bannergarden id=”11″]
इस सवाल के जवाब में ‘आप’ पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने कहा कि बिना कांग्रेस और बीजेपी की मदद लिए अगर सरकार बनती है तो पार्टी इस पर विचार कर रही है। कुमार विश्वास का कहना है कि पार्टी की राजनैतिक सलाहकार समिति इस मसले पर आखिरी फैसला करेगी। केजरीवाल राज्यपाल से मिलने जाएंगे।

कांग्रेस पहले ही आम आदमी पार्टी को बिना शर्त अपने आठ विधायकों के समर्थन का ऐलान कर चुकी है। ऐसे में 28 और 8 मिलाकर उसके पास बहुमत की 36 सीटें हो जाती हैं। सियासी हलकों में ये बात भी जोर शोर से उठाई जाने लगी है कि अरविंद केजरीवाल को जनता ने वोट दिया है और अब वो अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं।

शुक्रवार तकरीबन पौने एक बजे आम आदमी पार्टी के विधायक दल के नेता अरविंद केजरीवाल के पास उप राज्यपाल नजीब जंग का पत्र पहुंचा। चिट्ठी में उप राज्यपाल ने शनिवार साढ़े दस बजे अरविंद केजरीवाल को मिलने के लिए बुलाया है। उनके घर पर पार्टी दिग्गजों की बैठक शुरू हुई। बैठक में तय हुआ कि आम आदमी पार्टी ना तो कांग्रेस और ना ही बीजेपी से समर्थन लेगी। वो अपने पुराने रुख पर कायम रहेगी। हालांकि ये भी साफ किया कि वो अपने पत्ते राज्यपाल से मुलाकात के बाद ही खोलेगी।

तो क्या आम आदमी पार्टी उपराज्यपाल से मिलकर ये कहेगी कि वो किसी कीमत पर सरकार नहीं बनाएगी। ऐसे में सवाल उठेगा कि आखिर उसके नेता कुमार विश्वास क्यों कह रहे हैं कि पार्टी ने अपने सभी विकल्प खुले रखे हैं। जाहिर है, सबकी नजर शनिवार सुबह होने वाली उप राज्यपाल और केजरीवाल की बैठक पर टिकी हैं। देखना है कि आम आदमी पार्टी सिद्धांतों पर टिके रहकर खुद को खास साबित करती है, या आम ही साबित होती है।