FARRUKHABAD : जो मार्ग इटावा और बरेली को आपस में जोड़ता है, हरदोई, शाहजहांपुर, बरेली, लखनऊ जाने के लिए जो आसान रास्ता बना है वह घटियाघाट पुल की देन है। जो आज कई जनपदों के विकास का मूल आधार है।
आजादी के बाद अपनी तरक्की की राह में फर्रुखाबाद आज भी मुसीबतों से जूझ रहा है। सन 1951-52 में बालिग मताधिकार से पहला चुनाव सम्पन्न हुआ था। जल्दी में अलग अलग शोसलिस्ट पार्टी और कांग्रेस में मुकाबला हुआ। चुनाव में कांग्रेस को सफलता मिली थी। पांच वर्ष गुजर जाने के बाद भी फर्रुखाबाद की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया था। पहले दशक की सफलता के बाद 1963 में हुए उपचुनाव में तत्कालीन मशहूर शोसलिस्ट नेता व समाजवादी पार्टी के प्रेरणाश्रोत डा0 राममनोहर लोहिया फर्रुखाबाद से चुनाव जीते थे। अपने निर्वाचन के बाद डा0 लोहिया ने घटियाघाट स्थित गंगा नदी के पुल का प्रस्ताव मंजूर करवाया और पुल निर्मित किया गया।
फर्रुखाबाद के लोग डा0 लोहिया के इस प्रयास को आज भी याद करते हैं। श्रीमती पूर्णिमा बनर्जी, सूबा बलबंत सिंह, सुल्तान आलम खां, खुर्शीद आलम खां, अबधेश चन्द्र सिंह, मूलचन्द्र दुबे, दयाराम शाक्य, सलमान खुर्शीद, संतोष भारती, डा0 सच्चिदानंद हरि साक्षी, चन्द्रभूषण सिंह मुन्नूबाबू, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीलादीक्षित भी जनपद से एमपी रह चुके हैं।
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अगर हम इस बात की समीक्षा करें कि अपने गौरवशाली इतिहास और कुर्बानियों के बाद भी फर्रुखाबाद को वह स्थान नहीं मिल सका जिसका कि वह हकदार है। फिलहाल घटियाघाट गंगा नदी का पुल लोगों की विकास में कई गुना वृद्वि कर रहा है और जनपद में आवागमन का एक मात्र इस मार्ग से रास्ता है।