लखनऊ। लाख प्रयास करने के बाद भी समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में माफिया डीपी यादव की ‘इंट्री’ रोककर राजनीति में शुचिता की जो उम्मीद जगाई थी, माफिया अतीक अहमद को सुल्तानपुर से लोकसभा से टिकट देने वह धूमिल हुई। सत्तारुढ़ सपा ने ऐसे समय अतीक अहमद को उम्मीदवार घोषित किया है, जब लखनऊ मध्य और टाडा के उसके विधायक कानून के घेरे में हैं और पार्टी इन्हें लेकर खासी दुश्वारी में है।
विधानसभा चुनाव के तकरीबन दो वर्ष बाद लोकसभा चुनावों की आहट के साथ सपा ने दागी छवि के अतीक को न सिर्फ पार्टी में शामिल किया, सुल्तानपुर संसदीय क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी शकील का टिकट काटकर अतीक अहमद को प्रत्याशी घोषित कर दिया। अतीक पर मुकदमों की लंबी फेहरिस्त है। वर्ष 2006 में इलाहाबाद में मदरसा दुराचार काण्ड में उनके भाई की नामजदगी के बाद से वह कोई चुनाव नहीं जीत पाए हैं।
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इधर लखनऊ में बलवा और जानलेवा हमले के मामले में आरोपी सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने आज अपर सत्र न्यायाधीश शमशेर खान की अदालत में समर्पण कर दिया। हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में अदालत ने विधायक को 60-60 हजार रुपये की दो जमानतें व इतनी ही धनराशि का मुचलका दाखिल करने पर रिहा करने का सशर्त आदेश दिया। शाम को रविदास रिहा कर दिए गए। अदालत ने पूर्व में जारी कुर्की के आदेश को भी निरस्त कर दिया। रविदास मेहरोत्रा को अगली पांच तारीखों पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने के निर्देश के साथ कोर्ट ने सुनवाई के लिए आठ दिसंबर की तिथि नियत की है।
प्रतापगढ़ के पट्टी के डाक बंगले में सात माह पहले सपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की मारपीट के मामले में कानूनी शिकंजा कस गया है। मामले में 40 लोगों के खिलाफ मुकदमा चलेगा। पुलिस ने चार्जशीट लगा दी है। सपा के पूर्व सांसद और लोकसभा क्षेत्र से पार्टी के प्रत्याशी सीएन सिंह के साथ जिलाध्यक्ष भइया राम पटेल सहित अन्य कार्यकर्ता आरोपी बनाए गए हैं। चार अप्रैल 2013 को डाक बंगले में पर्यवेक्षक बनकर आए सपा नेता रामवृक्ष यादव के सामने दो गुट आपस में भिड़ गए थे। जिलाध्यक्ष भइया राम पटेल को अपनी जान बचाने के लिए कोतवाली में शरण लेनी पड़ी थी। घटना के बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ एफआइआर करायी थी।
अंबेडकरनगर में हिंदू युवा वाहिनी जिलाध्यक्ष रामबाबू हत्याकांड के गवाह राममोहन उर्फ शीतल के हत्या की तफ्तीश शुरू नहीं हो सकी। टांडा के सपा विधायक अजीमुलहक पहलवान की नामजदगी कार्रवाई की राह में रोड़ा बनी है। भुक्तभोगी परिवार का आरोप है कि राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस अभियुक्तों को बचा रही है। वहीं एसपी ने मामले में सीओ और थानेदार को बदल दिया है, जबकि घटना के समय रेसर मोबाइल टीम में नियुक्त आरक्षी रंजीत कुमार व रामाशीष चौरसिया, बीट आरक्षी कमलदेव सिंह एवं पिकेट ड्यूटी लगाने में लापरवाही पर थाने के मुंशी मुनीस कुमार को निलंबित कर दिया है।