लखनऊ: प्रदेश के बीएड कॉलेजों में मौजूदा सत्र 2013-14 में खाली बची सीटों पर कॉलेज संचालकों की ओर से किए गए सीधे दाखिले अवैध माने जाएंगे। साथ ही स्नातक स्तर पर 50 फीसदी अंकों की योग्यता पर दाखिले का अधिकार भी कॉलेज संचालकों को नहीं दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज संचालकों द्वारा खाली सीटों पर दाखिलों की मांग को खारिज करते हुए कहा कि मौजूदा सत्र में 16 सितंबर 2013 के बाद दाखिले के लिए किसी भी पार्टी को कोई राहत नहीं दी जाएगी। दरअसल, डीएवी कॉलेज, मेरठ ने कहा था कि बीएड की 20 हजार 944 सीटें खाली पड़ी हैं।
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मांगा था सीधे दाखिले का अधिकार
कॉलेज की ओर से यह अपील की गई थी कि इन्हें भरने के लिए कॉलेजों को अधिकार दिया जाए। कॉलेज के डॉ. राजीव आत्रे ने बताया कि उनकी मांग थी कि खाली सीटों पर नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) की गाइडलाइन के मुताबिक ग्रेजुएशन में 50 फीसदी अंकों के आधार पर सीधे दाखिले का अधिकार दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को खारिज करते हुए 16 सितंबर 2013 के बाद किसी भी तरह के दाखिलों पर राहत देने से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजों को अगले सत्र 2014-15 में सितंबर से पहले अपील करने के लिए कहा है।
हजारों छात्रों को झटका
इस फैसले से ग्रेजुएशन के आधार पर सीधे दाखिला ले चुके हजारों छात्रों को झटका लगा है। कॉलेजों की ओर से दिए गए ये सभी दाखिले अवैध माने जाएंगे। नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अधिकांश कॉलेजों में बड़ी संख्या में सीधे दाखिले दिए गए हैं।