FARRUKHABAD : दीपक शुक्ला – जनपद के सबसे ऊंचे भवन टाउनहाल के नीचे नबाव बंगश का किला दफन है। कहा जाता है कि इसे अंग्रेजों ने तोप से उड़ाकर इस स्थान पर टाउन हाल का निर्माण कराया था। जहां से म्युनिस्पिलिटी का काम शुरू किया गया था।
सन 1743 में गले में दुम्बल की बीमारी के बाद नबाव मोहम्मद खां बंगश की मौत हो गयी। जिसके बाद उसका बेटा कायम खां ने सत्ता संभाली। समय का दौर बदला और हुकूमतें भी बदलती रहीं। देखते ही देखते अंग्रेजों ने देश पर अपना कब्जा जमा लिया। अपने हिसाब से बदलाव किये गये। इसी बदलाव का एक जीता जागता गवाह है टाउनहाल। टाउनहाल के विषय में जो जानकारी प्राप्त हुई वह इस प्रकार है।
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देश में मुस्लिम शासकों के बगावत के साथ नबाव बंगश हुकूमत के खात्मे के बाद अंग्रेजों ने अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पुलिस थानों और चौकियों को स्थापित किया। तहसील व कचहरी का निर्माण कराया गया। अपनी नई शिक्षा प्रणाली के अन्तर्गत फतेहगढ़ स्कूल, क्रिश्चियन इंटर कालेज बढ़पुर की बुनियाद भी डाली। लेडी डफरीन चिकित्सालय लिंजीगंज और सिविल अस्पताल रखा भी स्थापित किया गया। फतेहगढ़ में अंग्रेजों को टहलने व तफरी के लिए कंपनी बाग लगाया गया। जिसमें वर्तमान में खेलकूद का स्टेडियम है।
बात आती है टाउनहाल की, 1868 में अंग्रेजों ने फर्रुखाबाद के नागरिकों के लिए नबाब की ही तोपों से उसके महल को उड़ा दिया। जो टाउनहाल की जगह पर जिले में सबसे ऊंचा स्थापित था। उस पर टाउनहाल का निर्माण कराया गया। टाउनहाल बनने में तकरीबन 10 वर्षों का समय लगा। टाउनहाल के साथ में ही सेन्ट्रल जेल फतेहगढ़ व जिला स्कूल फर्रुखाबाद का निर्माण भी हुआ। इस दौरान व्यापारियों व उद्यामियों ने अंग्रेज कलक्टर से सम्पर्क स्थापित किया।
व्यापारियों की सहुलियत के लिए डीएम द्वारा पैरवी करने पर जनपद को रेलवे लाइन से जोड़ा गया। टाउनहाल बनकर तैयार हो चुका था 1872 में अंग्रेजों ने भूमि सुधार और शहरी क्षेत्र की व्यवस्था अपने हिसाब से करायी। सन 1900 में नगर फर्रुखाबाद का सर्वे करवाकर नक्सा तैयार करवाया गया और खसरा तैयार किया गया। जो वर्तमान में भी अदालतों में मान्य है।
1900 में ही फर्रुखाबाद में म्यूनिस्पिलिटी अस्तित्व में आ गयी थी। 1916 में म्युनिस्पिलिटी पास करके लागू की गयी और फिर मताधिकार द्वारा बार्डों से सदस्य चुने जाने लगे और वह सदस्य चेयरमैन को चुनते थे। फिलहाल जनपद की शान ओ शौकत में चार चांद लगा रहा टाउन हाल अब जर्जर स्थिति से जूझ रहा है। भ्रष्टाचार की बीमारी उसे दीमक की तरह चाट रही है। जनपद की इस खूबसूरत इमारत की देखरेख के लिए प्रतिवर्ष लाखों रुपये डकारने के बाद भी इसकी देखरेख का कोई बंदोबस्त नहीं है।