फर्रुखाबाद: फर्रुखाबाद के इतिहास में आज पत्रकारों की जबरदस्त एकता देखने को मिली| मतगणना के आखिरी दौर में ३१ अक्तूबर को नवाबगंज मतगणना केंद्र पर कई टीवी और अख़बार के पत्रकारों के ४ कैमरे तोड़ने के साथ जमकर की गयी पिटाई के विरोध में आज पत्रकारों ने सड़क पर उतरकर ताकत दिखाई| प्रशासन ने पंचायत चुनाव में मतगणना को न केवल जरुरत से ज्यादा गोपनीय बनाया बल्कि मीडिया और प्रत्याशी तक परिणाम की विस्तृत पुष्ठी नहीं कर पाए| प्रत्याशी जीत के घर चला जाता था और उसके गाँव से पत्रकार को सूचना मिलती थी वो जीत गया|
सवालों के घेरे में जिला प्रशासन
पूरे पंचायत चुनाव में जिला प्रशासन ने चुनाव आयोग के पारदर्शिता के मंसूबो की भी धज्जियाँ उड़ाई| मतगणना स्थल पर क्या हुआ ये राज ही बनकर रह गया| प्रशासन की भूमिका पर सवाल तो चुनाव आयोग के प्रेक्षक ही प्रथम चरण के मतदान में तब लगा गए थे जब उन्होंने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के खिलाफ कारवाही के लिए आयोग को लिखा था|
आँख बंद कर लेने से अँधेरा नही होता
पंकज दीक्षित ने जानना चाहा कि जब केंद्रीय चुनाव आयोग तक चुनाव में पत्रकारों को मतगणना केंद्र तक न केवल ले जाता है बल्कि मतगणना हाल में में भी बारी बारी पत्रकारों को ले जाकर मतगणना देखने के लिए प्रोत्साहित करता है तो फर्रुखाबाद का जिला प्रशासन पूरी प्रक्रिया को गोपनीय क्यूँ बना रहा था| जिलाधिकारी का ये कृत्य उनकी और सरकार कि भूमिका पर भी सवाल उठा रहा था| उन्होंने कहाँ ये लोकतंत्र में तानाशाही रवैये जैसा था|
मायावती को पहुचाएंगे मय सबूत के जिले के विकास की हकीकत
मायावती चाहती है कि उनकी सरकार की हर योजना, हर बात गाँव और गरीब जनता तक पहुचे, मगर जिला प्रशासन तो विकास की बैठके भी गोपनीय करता है| बैठक से कई बार पत्रकारों को बाहर निकाला गया| पिछले एक साल से लग रहा है की हम लोकतंत्र में नहीं किसी हिटलर के शासन के नागरिक है| उन्होंने कहा पानी सर से ऊपर निकल चुका है, बात मायावती से लेकर राज्यपाल और राष्ट्रपति तक पहुचाई जाएगी कि गाँव में मास्टर पढ़ाने नहीं जाता, सफाई नहीं होती, गरीब को उसका हक नहीं मिल रहा है| जिस बात पर मायावती सत्ता में आई थी उनके मंसूबो पर ये शासक पानी फेर रहे हैं|
तय कार्यक्रम के मुताबिक़ पत्रकार दोपहर को कलमकार भवन में एकत्र हुए| वहां शहर कोतवाल व् एलआईयू के इन्स्पेक्टर ने प्रशासन की ओर से माफी माँगते हुए मुआवजा बतौर नए कैमरे देने की पेशकश करते हुए आन्दोलन न किये जाने की बात कही, पत्रकारों ने उनकी एक नहीं सुनी|
संघर्ष समिति के सयोंजक पंकज दीक्षित की अगुवाई में पत्रकार दोपहिया वाहनों से रवाना हुए| विरोध स्वरुप काली पट्टी धारण किये हुए पत्रकार मौन रहे| अम्बेडकर तिराहे पर रुकने के बाद सभी पत्रकार पैदल जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर पहुंचे| सयोंजक पंकज दीक्षित ने उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन की ओर से तीन मांगे रखी| घटना की घोर निंदा करते हुए कहा कि दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध मुकद्दमा दर्ज किया जाए पत्रकारों को कैमरे का नगद मुआवजा दिया जाए| तीसरी मांग पारदर्शिता के तहत पत्रकारों को सभी सूचनाएं उपलब्ध कराई जाएँ अन्यथा जिलाधिकारी अपने तवादले के लिए सरकार के पास फ़रियाद कर ले, हमें लोकतंत्र का सेवक चाहिए शासक नहीं|
उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण कटियार ने पुलिस कार्रवाई की घोर निंदा करते हुए आर-पार की लड़ाई लड़ने को कहा| महामंत्री वेदपाल सिंह ने कहा कि वह शांति पूर्ण ढंग से आन्दोलन को चलाएंगे| अब सभी पत्रकार सोमवार को दोपहर २ बजे कलमकार भवन में आगे की रणनीति तैयार करेंगे| संरक्षक प्रदीप गोश्वामी ने कहा कि वह यहाँ के अधिकारियों को ज्ञापन न देकर अपनी शिकायत सीधे राज्यपाल व राष्ट्रपति को भेजेंगे| पत्रकार अजय कटियार ने कहा कि घटना वाले दिन ही पुलिस ने लोहिया अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष से मरीजों को बाहर निकालकर उनके साथ बदसलूकी की|
पत्रकार विनय शाक्य ने कहा कि बड़े शर्म की बात है कि एसपी की मौजूदगी में एसओ नवाबगंज ने पत्रकारों को बेरहमी से पिटवाकर उनके कैमरे तुड़वाकर मोबाइल फोन छिनवा लिए| जबकि पिटने वाले चिल्लाते रहे कि वह पत्रकार हैं| इस दौरान नगर मजिस्ट्रेट हरिशंकर पुलिस व पीएसी वल के साथ मौजूद रहे| वरिष्ठ पत्रकार सत्य मोहन पाण्डे, आनंदभान शाक्य, रवींद्र भदौरिया, नलिन पाल आशू, राजेश हजेला, अजय प्रताप सिंह, जितेन्द्र दीक्षित टिंकू, आनंद मिश्रा, नितेश सक्सेना टीटू, रहीश अहमद, राजेश निराला, प्रशांत दीक्षित, गौरव तिवारी सीपू, गगन सेट्टी, नितिन मिश्रा, सुनील दुबे, रिषी सेंगर, इन्दू अवस्थी, सुरेश गुप्ता, आमिर खां, आलोक सिंह, शकील अहमद, फिरोज खान, अवनीश यादव गुड्डू, विनोद श्रीवास्तव, इमरान खान आदि पत्रकार शामिल रहे|