FARRUKHABAD : प्रशासनिक अधिकारी जांच करें या केन्द्र सरकार की संस्था सीबीआई जांच करे लेकिन जनपद के एआरटीओ विभाग के भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारी सुधरने वाले नहीं हैं। अब तक लाइसेंस फीस के नाम पर लाखों का घोटाला कर चुके एआरटीओ कार्यालय कर्मचारी अभी भी रिश्वतखोरी से बाज नहीं आ रहे हैं। लाइसेंस बनवाने के लिए आरटीओ कार्यालय पहुंचने वाले जरूरतमंदों का तभी फोटो खींचा जा रहा है जब वह दलालों अथवा विभागीय कर्मचारी को 50 रुपये डीजल के नाम पर दक्षिणा दे देते हैं। वहीं 300 रुपये में बनने वाले लाइसेंस के लिए जनता को 1500 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं।
बुधवार को एआरटीओ कार्यालय की हकीकत जानने के लिए जेएनआई रिपोर्टर पहुंचा तो पता चला कि एक दलाल व बाबू मिलकर लाइसेंस बनवाने गये लोगों से 50-50 रुपये अतिरिक्त वसूल रहे थे। जानकारी करने पर पता चला कि बिजली नहीं आयी है। जिससे जरूरतमंदों को विभागीय कर्मचारियों द्वारा धमकाया गया कि आज भी उनका काम नहीं हो पायेगा। सिर्फ एक ही उपाय है कि जनरेटर चलाया जाये। उसमें भी डीजल नहीं है। कर्मचारियों ने जरूरतमंद लोगों से कहा कि यदि वह लोग 50-50 रुपये डीजल के लिए इकट्ठे करके दे दे ंतो उनका फोटो आज ही खिंच जायेगा।
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फिर क्या था- जरूरत तो जरूरत है। लोगों ने भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हुए मजबूर होकर 50-50 रुपये अतिरिक्त दे दिये। तब जाकर उनके फोटो खिंच सके। वहीं इन लोगों का यह भी आरोप है कि 300 रुपये में बन जाने वाले लाइसेंस के लिए वह लोग दलालों के माध्यम से अब तक 1500 रुपये खर्च कर चुके हैं लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हो सका है। जिससे जनपद की जनता एआरटीओ विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों से खासे परेशान हैं।
शहर के मोहल्ला जाफरी निवासी विनोद, नगला कोठी निवासी नरेन्द्र, बेला सराय निवासी अमित, कायमगंज निवासी अरुण, नबावगंज निवासी राजेश, जहानगंज निवासी लालू आदि लगभग आधा सैकड़ा लोगों का आरोप था कि उनसे जनरेटर डीजल के नाम पर 50-50 रुपये लिये गये।
इस सम्बंध में एआरटीओ उदयवीर सिंह ने बताया कि वह इस समय बाहर हैं, कार्यालय के काम से लखनऊ आया हूं। उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। लौटकर आने पर जांच की जायेगी।