फर्रुखाबाद के 300 वर्ष: साले की हत्या स्थल पर मोहम्मद खां बंगश ने लगवाया था काशिम बाग

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FARRUKHABAD : दीपक शुक्ला – फर्रुखाबाद शहर किसी समय हरे भरे तकरीबन 35 से अधिक नामचीन बागों से प्राकृतिक शोभायमान था। जिसमें काशिमबाग को लेकर एक महत्वपूर्ण जानकारी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। वैसे तो हर बाग को लगवाने में कोई न कोई कारण रहा। लेकिन मुख्य रूप से काशिम बाग जहां नबाव मोहम्मद खां बंगश के साले काशिम की हत्या हुई थी, साले की याद में नबाब मोहम्मद खां बंगश ने काशिम बाग लगवाया था।bag

मुख्य रूप से यह जानें कि शहर में कौन सा नामचीन बाग कहां स्थापित था। चुर वाली बगिया, खानपुर, चांदपुर, नगला बाग, याकूतगंज, चोर वाली बगिया, कागजी वाला बाग नरायनपुर हसनबाग में था। जैन बाटिका व श्री बाग लाल दरबाजा बढ़पुर, बागे कनार यह बेरों का बाग था जो घेर शामू खां में लगाया गया था। अंगूरी बाग जहां अब बहुत विशाल मोहल्ला बस गया है वहां पर कहानियों के अनुसार नबाब मोहम्मद खां बंगश ने नर्तकी अंगूरी के नाम पर बसाया था। साथ ही साथ यह भी कहा जाता है कि यहां पर अंगूर की बेल बहुत थी। अंगूरी मस्जिद भी स्थापित की गयी जो घुमना बाजार के निकट उत्तर दिशा में स्थित है।

अमेठी बाग, जहां कायम खां का महल था। सिकत्तर बाग, मेहंदी बाग जो वर्तमान के हिसाब से मदर इण्डिया कोल्ड स्टोरेज के निकट लगाया गया था। रमन्ना गुलजार बाग इस बाग में आड़ू, नाशपाती, अमरूद, आलू बुखारा, नारंगी के पेड़ लगाये गये थे। रामबाग फुलबगिया, सीताराम मिलन जहां वर्तमान में लाल दरबाजा बढ़पुर के निकट पेट्रोलपम्प है।

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जसमई पुठरी रोड पर अलीबाग, सेन्ट्रल जेल चौराहे के निकट हसनबाग, घारमपुर बाईपास रोड पर, वहां भी अब बाग के नाम से एक पेड़ तक नहीं बचा है। लाल बाग भी लाल दरबाजा बढ़पुर में लगाया गया था। बाग रुस्तम, चीनीग्रान के उत्तरी तरफ, चौबगा या चारबाग कुइयां बूट में स्थापित था।

वर्तमान में इतवारीलाल का खेत रेलवे स्टेशन बाईपास के दक्षिण तरफ खपरैल बाग, काला बाग, नौलखा बाग, शहर के उत्तर पूर्व में डेढ़ किलोमीटर में स्थापित किया गया था। घटियाघाट के पास दीनदयाल बाग। जहां वर्तमान में राजीवगांधी नगर कालोनी बसी है वहां पर खानयेबाग 2 एकड़ 72 डिसमिल में फैला था। बाईपास पर स्थित कृष्णा फिलिंग स्टेशन पर नौनिहाल बाग, वर्तमान में मण्डी समिति में बाग दायम खां, खानपुर नरकसा के मध्य रानीबाग, बाग लकूला कादरीगेट के निकट, इसमें एक लाख आम के पेड़ थे।

पण्डाबाग में जहां पाण्डेश्वर नाथ का मंदिर स्थापित है, पहले इसे पिण्डी बाग कहते थे। जसमई दरबाजा व ढिलावल के मध्य लोटन बाग, बाग नासर खां लिंजीगंज, कायमगंज का मेहंदीबाग, बहार बाग, हायत बाग, बहिस्त बाग, गुरुगांवदेवी मंदिर से कुछ पहले, शक्ति पीठ के पास आवाजपुर रोड पर सिकत्तर बाग, अमेठी बाग के साथ-साथ फतेहगढ़ गुरुद्वारा के पीछे कर्नलगंज रोड पर काशिम बाग, नबाब मोहम्मद खां बंगश के साले की हत्या हो गयी थी। जिसकी याद में नबाब मोहम्मद खां ने काशिम बाग लगवाया था। घेर शामू खां में बागे कनार, बेरों का बाग आदि मुख्य रूप से बाग हुआ करते थे। जिसमें विभिन्न प्रकार के फल शहर वासियों के लिए उपलब्ध रहते थे। समय की मार और प्रशासन और शासन की अनदेखी और बढ़ती जनसंख्या को लेकर इन आम के जंगलों की जगह अब शहर कंकरीट का जंगल बनता जा रहा है। गलियां शकरी हो गयी है। मुख्य मार्ग जाम की स्थिति से जूझ रहा है और बाग तो शहर के इर्द गिर्द देखने तक को नसीब नहीं होते।