इस दिवाली पर 60 साल बाद दो अमावस्याओं वाला योग बन रहा है। दिवाली का पर्व पांच नवंबर शुक्रवार को है।
शुक्रवार दोपहर से अमावस्या आरंभ हो जाएगी और शनिवार सुबह तक रहेगी।
इस बार दिवाली पर धनवर्षा और शनि की पीडा से निजात दिलाने वाले संयोग बन रहे है। लक्ष्मी प्राçप्त के लिए धन कुबेर और लक्ष्मी का पूजन पूर्ण रूप से फल देने वाला साबित होगा। दिवाली पर अमावस्या दोपहर बाद 1 बजकर 2 मिनट पर शुरू होगी और गोवर्धन पूजन के दिन शनिवार को 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। पर्व स्वाति नक्षत्र शुक्रवार के दिन शुक्र की राशी में आ रहा है।
इस दिन सूर्य भी शुक्र की राशी में होगा। इसके कारण मुद्रास्फीति की दर में परिवर्तन के आसार है। हालांकि वर्षो बाद पुण्य नक्षण का महा मुहूर्त दिनभर रहेगा।