हड़ताल का असर लोहिया अस्पताल पर पड़ा, भटके मरीज, डाक्टरों की पौबारह

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FARRUKHABAD : राज्य कर्मचारियों द्वारा प्रदेश व्यापी बंद के पहले दिन लोहिया अस्पताल पर खासा प्रभाव दिखायी दिया। दूर दराज से आने वाले मरीज डाक्टरों की तलाश में भटके लेकिन डाक्टर अपनी कुर्सियों पर नहीं बैठे। जबकि हड़ताल राज्य कर्मचारियों की थी, डाक्टरों की नहीं। लोहिया अस्पताल के सीएमएस पर मुकदमा हो जाने से सीएमएस सहित अन्य कुछ डाक्टर अपने कानूनी दावपेंच मजबूत करने में मशगूल दिखायी दिये। जिसको लेकर सीएमएस कक्ष भी खाली रहा। जिससे फरियादी अपनी शिकायत तक मुख्य चिकित्साधीक्षक से नहीं कर पाये।LOHIYA HOSPITAL

राज्य कर्मचारियों द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल किये जाने की घोषणा बीते दिन ही कर दी गयी थी। जिसको लेकर मंगलवार को जिले के सभी सरकारी विभाग बंद नजर आये। सबसे ज्यादा असर लोहिया अस्पताल पर दिखाई दिया। जहां राज्य कर्मचारियों द्वारा काम पर न आने से मुख्य रूप से पर्चा काउंटर पर कर्मचारी नहीं बैठे। जिससे मरीजों की खासी भीड़ पर्चा काउंटर पर लगी रही। लाचार मरीज इसकी शिकायत करने जब (सीएमएस) मुख्य चिकित्साधीक्षक के कक्ष में गये तो उनकी भी कुर्सी खाली पड़ी थी।

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डाक्टर मनोज रत्मेले, डा0 शिरे खन्डूजा, डा0 अनल शुक्ला, डा0 एस पी सिंह, डा0 बृजेश सिंह ही मुख्य रूप से चेम्बर के इर्द गिर्द दिखाई दिये। इसके अतिरिक्त अन्य चिकित्सक अपने चेम्बर में नहीं बैठे। औषधि वितरण कक्ष भी बंद था। रक्त दान कक्ष संख्या 60 में भी ताले लटके रहे। जिससे कई रक्त लेने वाले मरीज के तीमारदार भटक कर वापस लौट गये। राज्य कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से चिकित्सकों की पौबारह रही। पर्चा न बनने से मरीज नहीं देखे जा सके। जिससे डाक्टरों ने अपने चेम्बर में बैठना उचित नहीं समझा और चेम्बर खाली पड़े रहे।LOHIYA HOSPITAL1

पहले ही दिन राज्य कर्मचारियों की हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गयी है। अनिश्चितकालीन चलने वाली इस हड़ताल में आगे और अधिक संकट मड़राने के आसार नजर आ रहे हैं। हड़ताल में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद माध्यमिक शिक्षक संघ, लेखपाल संघ, अमीन संघ, अधीनस्थ कृषि सेवा संघ, प्रधानाचार्य परिषद, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा, लोक निर्माण विभाग, सेवा योजन, बेसिक शिक्षा आदि शामिल हुए हैं।

इस सम्बंध में लोहिया अस्पताल के सीएमएस अशोक कुमार मिश्रा ने जेएनआई को बताया कि चिकित्सक हड़ताल में शामिल नहीं हैं। लेकिन पर्चा इत्यादि काउंटर बंद होने से चिकित्सक चेम्बर में नहीं बैठे हैं। फिर भी अगर कोई आपातकालीन मरीज आता है तो उसके लिए आपातकाल में चिकित्सक और फार्मासिस्ट मौजूद हैं।