इलाहाबाद: हाईकोर्ट के कोर्ट नंबर 37 में बृहस्पतिवार को टीईटी पर रोक हटाने के लिए पांच घंटे तक बहस चली। बहस पूरी न होने के कारण इस मसले पर शुक्रवार को फिर सुनवाई होगी। हाईकोर्ट में चल रही इस सुनवाई पर लाखों युवाओं की निगाह लगी थी।
कोर्ट परिसर के बाहर भी सैकड़ों छात्रों की भीड़ लगी थी। हाईकोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस विपिन सिन्हा ने टीईटी पर लगी रोक को हटाने के लिए दाखिल सभी अपील को अर्जेंसी के आधार पर सुनवाई प्रारंभ दस बजे से प्रारंभ की। प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सीबी यादव ने बहस किया तो टीईटी छात्रों की ओर से अशोक खरे ने मजबूती से पक्ष रखा। कोर्ट खचाखच भरी हुई थी। टीईटी छात्रों की ओर से बहस करते हुए अशोक खरे ने कहा कि प्रदेश सरकार की उदासीनता के कारण दो साल से ज्यादा समय से तीन लाख से ज्यादा युवा दर-दर भटक रहे हैं।
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एक तरफ ट्रेनी टीचर की परीक्षा पास करने के बाद भी सरकार नौकरी देने में फेल साबित हो रही है दूसरी तरफ उसकी अस्प्ष्ट नीतियों के कारण कोर्ट को रोक लगाना पड़ा। ढाई साल से हाईकोर्ट में रोक के चलते टीईटी भर्ती की लंबित प्रक्रिया को सरकार की शिथिलता से ठप पड़ी है। कोर्ट में लंच के बाद फिर बहस प्रारंभ हुई। हाईकोर्ट ने इस मसले पर शुक्रवार को दोपहर बाद फिर सुनवाई का निर्देश दिया। हाईकोर्ट में सुनवाई की संवेदनशीलता को देखते हुए टीईटी अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि शुक्रवार को इस मसले पर कोई बड़ा फैसला आ जाएगा। गौरतलब है सूबे में 72 हजार 825 ट्रेनी टीचरों की भर्ती पर लगी रोक के मसले पर हाईकोर्ट ने खुद अभ्यर्थियों की अपील को अर्जेंसी के तहत सुनवाई के लिए 7 नवंबर की तिथि तय की थी।