नई दिल्ली। पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीखें जैसे-जैसे करीब आ रही हैं, कांग्रेस की धड़कनें तेज होने लगी हैं। कांग्रेस चाहती है कि चुनाव पूर्व सर्वे यानी ओपिनियन पोल को तुरंत बैन कर दिया जाए। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह इसकी सबसे तगड़ी पैरवी कर रहे हैं। अटॉर्नी जनरल जी. वाहनवती ने इसपर अपनी सहमति जता दी है लेकिन कानून मंत्रालय चाहता है कि इस पर आखिरी फैसला चुनाव आयोग करे।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक पार्टियों से ओपिनियन पोल पर राय मांगी थी कि क्या इसे बैन कर देना चाहिए। अक्टूबर के पहले हफ्ते में ये राय मांगी गई थी और कांग्रेस ने 30 अक्टूबर के अपने जवाब में चुनाव आयोग के इस प्रस्ताव का खुलकर समर्थन किया है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से ओपिनियन पोल के बारे में कहा कि इसकी प्रक्रिया न तो वैज्ञानिक है और न ही पारदर्शी। ऐसे में ओपिनियन पोल से लोगों को गुमराह ही किया जा सकता है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कहा है कि इसे पूरी तरह से बैन किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि आईबीएन7 और सीएसडीएस के ओपिनियन पोल में कांग्रेस तीन राज्यों में हार रही है जबकि दिल्ली में भी उसे आप पार्टी से कड़ी चुनौती मिल रही है। इस मुद्दे पर आईबीएन7 ने दिग्विजय सिंह से बात की तो उन्होंने ओपिनियन पोल को मजाक करार दिया और इस पर रोक लगाने की पुरजोर मांग की। वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस अपनी घटती लोकप्रियता से घबराई हुई है। हाल ही में जितने ओपिनियन पोल आए उसमें कांग्रेस की बुरी हालत रही है। ऐसे में कांग्रेस की ओपिनियन पोल पर राय चौंकाने वाली नहीं है।.
बीजेपी के अलावा जेडीयू ने भी कांग्रेस को घेरा है। जेडीयू के मुताबिक सर्वे में अपना ग्राफ गिरता देख कांग्रेस तिलमिलाई हुई है। सीपीआई नेता डी राजा ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि कांग्रेस की यह राय उसकी घटती लोकप्रियता के कारण है। बीएसपी के पूर्व नेता विजय बहादुर भी कांग्रेस की मांग को गलत बता रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि ओपिनियन पोल पर बैन नहीं लगना चाहिए। कांग्रेस बुरी तरह से हार रही है। उसका करप्शन, बेरोजगारी में कोई जोड़ नहीं है। कोई इंटरनल सिक्योरिटी नहीं है।