नई दिल्ली। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज राजस्थान के चुरू पहुंचे। राहुल ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि ये पार्टी आग फैलाती है। इसके लोग आग फैलाते हैं और हम उसे बुझाने जाते हैं। इसके साथ ही राहुल ने गुस्से और हिंसा पर काबू पान की नसीहत भी दी। राहुल ने कहा कि गुस्सा आने में मिनट लगता है, गुस्सा खत्म करने में सालों लग जाते हैं। इस पर काबू के लिए भाईचारा, प्यार का सहारा लेना पड़ता है।
राहुल ने भावुक होते हुए कहा कि इससे देश का फायदा नहीं होता है, नुकसान होता है, लोग मरते हैं, गुस्सा पैदा होता है। ये मैंने दो बार सहा है। मेरी दादी को मारा, मेरे पापा को मारा और शायद एक दिन मुझे भी मार देंगे। लेकिन मुझे मरने से डर नहीं लगता है।
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इंदिरा और उनके हत्यारों की कहानी सुनाई
राहुल ने अपने भाषण की शुरुआत अलीगढ़ की तर्ज पर एक और कहानी से की। राहुल ने बताया कि उनकी मां सोनिया ने कहा कि मैं उनकी नहीं अपनी कहानी बताऊं। तो मैं आज आपको अपनी कहानी बताता हूं। उन्होंने अपनी दादी से अपने रिश्ते का किस्सा सुनाया। राहुल ने कहानी सुनाते हुए कहा, मैं पालक नहीं खाता था। लेकिन पापा मेरे आगे पालक की प्लेट रख देते थे। तब दादी अखबार आगे कर देती थीं, मैं पालक उनकी प्लेट में कर देता था। ऐसा उनका प्यार था। दादी से लोग डरते थे, पर मैं नहीं डरता था।
घर के पास ही नत्थूलाल नाम का व्यक्ति रहता था। वह मुझसे पूछता था कि दादी का मूड कैसा है। मैं उसे बताता था। दूसरे तरफ मेरे दो-तीन और दोस्त थे जो दादी का देखभाल करते थे। इनके नाम थे सतवंत सिंह, केहर सिंह, बेअंत सिंह। एक ने मुझे बैडमिंटन खेलना सिखाया। दूसरे ने पुल अप सिखाया। एक दिन मैं गार्डन में घूमने गया तो बेअंत सिंह मुझे मिले और दो तीन सवाल पूछे। उसने पूछा तुम्हारी दादी कहां सोती है, मैं छोटा था मुझे क्या मालूम था। लेकिन मुझे कुछ गलत लगा तो मैंने उल्टा सीधा जवाब दिया। उसने कहा उनकी सुरक्षा में कोई कमी तो नहीं है। उसने ये भी कहा कि कभी भी तुम्हारे उपर कोई हथगोला फेंके तो तुम्हें ऐसे लेट जाना चाहिए।
मैं इस बात को भूल गया। मैं घर में गया, वहां दादी बैठी थी, मैंने उनसे बात की। सालों बाद मुझे पता चला कि दादी की हत्या से पहले सतवंत, केहर, और बेअंत दादी पर दीवाली से पहले हथगोला फेंकना चाहते थे। उसके बाद क्या हुआ आप जानते हैं, दादी की हत्या हुई। बाद की कहानी सभी को मालूम है। उस दिन सुबह मैं उठा, स्कूल गया। क्लास में बैठा था। तभी एक व्यक्ति आया टीचर से बात की। टीचर ने मुझसे कहा कि तुम्हें घर जाना है। फोन पर बात की तो सुना घर में काम करने वाली महिला चिल्ला रहा थी।
पापा बंगाल में थे, मैंने पूछा, पापा ठीक है, उसने कहा ठीक हैं। मैंने पूछा मम्मी ठीक है, उसने कहा ठीक है। तब मैंने सोचा तो दादी हो सकती है। मैंने पूछा तो उसने कहा दादी ठीक नहीं है और उसने फोन रख दिया। जो दर्द मुझे उस दिन हुआ मैं ही जानता हूं। उसके बाद एक और दर्द हुआ जब पापा की मौत हुई। जैसे मेरी छाती फट गई हो।
पीएसओ ने कहा दादी ठीक है, गोली चली है, उन्हें कुछ नहीं हुआ। पीएसओ ने कहा प्रियंका के स्कूल चलते हैं। बॉडीगार्ड के साथ कार में हम घर गए। सड़क पर दादी का खून था, एक कमरे में मेरे दोस्त का खून था। इस बात पर मुझमें काफी साल तक गुस्सा था, अपने दोस्तों बेअंत और सतवंत के लिए गुस्सा था। मुझे 10 साल 15 साल लगे उस बात को समझने के लिए, अंदर से गुस्सा निकालने के लिए। सिख भाइयों में गुस्सा खत्म हो गया है। गुस्सा आने में मिनट लगता है, गुस्सा खत्म करने में कई साल।
बीजेपी पर बोला हमला
आपके बीच नेता लोग नफरत पैदा करते हैं। इसीलिए मैं बीजेपी की राजनीति के खिलाफ हूं ये लाभ के लिए चोट पहुंचाते हैं। मैं मुजफ्फनगर गया, दोनों समुदाय से मिला। उन लोगों में मुझे अपनी कहानी दिख रही थी। मैं चाहता हूं हिंदुस्तान एक साथ रहे, एक साथ लड़े और एक साथ मरे। ये लोग मुजफ्फरनगर जाकर आग लगा देंगे। यूपी में, गुजरात में, कश्मीर में आग लगा देंगे। तब हमें जाकर आग बुझानी पड़ती है।
इससे देश का फायदा नहीं होता है, नुकसान होता है, लोग मरते हैं, गुस्सा पैदा होता है। ये मैंने दो बार सहा है। मेरी दादी को मारा, मेरे पापा को मारा, और शायद एक दिन मुझे भी मार देंगे। लेकिन मुझे मरने से डर नहीं लगता है।