FARRUKHABAD : लाखों की जमीन को धोखाधड़ी करके रिटायर्ड फौजी को बेचने के मामले में पुलिस ने अधिवक्ता सहित तीन लोगों को हिरासत में लिया है। जिनसे पूछताछ की जा रही है। पुलिस खरीददार द्वारा दिये गये 9 लाख रुपये की बरामदगी में जुट गयी है।
मामला थाना मऊदरवाजा क्षेत्र के ग्राम नगला खैरबंद का है। जहां के अजेन्द्र पाल शाक्य की विधवा पत्नी गंगादेवी के नाम से कुइयां बूट में साढ़े तीन बीघा जमीन का धोखाधड़ी के साथ अधिवक्ता सत्येन्द्र राजपूत व दो अन्य लोगों ने एग्रीमेंट करा लिया था। जिसका सोमवार को बैनामा होना था। मामले में जमीन की मालकिन गंगादेवी की जगह एक फर्जी महिला को पेश कर 9 लाख की जमीन शहर क्षेत्र के शिवनगर निवासी राकेश पाल को बेची जा रही थी। मामला प्रकाश में आने पर पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में ले लिया है। जिनसे पूछताछ की जा रही है।
जानकारी के अनुसार जमीन की मालकिन गंगादेवी के पति अजेन्द्र पाल शाक्य की हत्या सन 1978 के लगभग हो गयी थी। जिसमें खुद गंगादेवी ही आरोपी बनायी गयी थी और मुकदमा भी चला था। लेकिन अदालत ने बाद में गंगादेवी को केश में आरोप सिद्ध न होने पर आरोप मुक्त कर दिया था। जिसके बाद से गंगादेवी जनपद से बाहर अपने एक दामाद के पास रह रही हैं।
गंगादेवी के नाम से साढ़े तीन बीघा जमीन कुइयांबूट स्थित महावीर इंटर कालेज के पास थी। जहां एडवोकेट सत्येन्द्र राजपूत ने अपना मकान बनवा लिया था। सत्येन्द्र राजपूत मूल रूप से भाऊटोला मोहल्ले के निवासी हैं। सत्येन्द्र ने अपने साथी मुनीश के साथ मिलकर साढ़े तीन बीघा जमीन का एग्रीमेंट करवाया। गंगादेवी के नाम से उसने कायमगंज क्षेत्र के ग्राम अहमदगंज निवासी एक महिला मुन्नीदेवी पत्नी रामदीन शाक्य को मालकिन बनाकर पेश कर दिया। तहसील में साढ़े तीन डिसमिल का एग्रीमेंट हो गया। फिर तलाश शुरू हुई उस जमीन को खरीदने वाले की। इस काम में शिवनगर निवासी एक व्यक्ति ज्ञानेश को लगाया गया था। ज्ञानेश ने मोहल्ले के ही पूर्व सैनिक राकेश पाल को जमीन खरीदने के लिए तैयार किया गया था। सौदा 9 लाख 10 हजार रुपये में तय हुआ। सोमवार को तहसील में जमीन की लिखापढ़ी होनी थी। जिस पर पूर्व सैनिक राकेश पाल अपने पुत्र अंकुश के साथ तहसील पहुंच गये और लिखापढ़ी शुरू करा दी। पूर्व सैनिक राकेश पाल के अनुसार उन्होंने 9 लाख रुपये अधिवक्ता सत्येन्द्र राजपूत के हाथ में दे दिये।
लेकिन उसी दौरान असली गंगा देवी के गांव नगला खैरबंद के कुछ लोग तहसील में पहुंच गये। उन्होंने जब इस वाकये को देखा और गंगादेवी की जगह दूसरी महिला की हकीकत जमीन खरीद रहे पूर्व सैनिक राकेश पाल को बतायी। तब तक देर हो चुकी थी। 9 लाख रुपये सत्येन्द्र राजपूत के हाथ में जा चुके थे। जिस वकील के बस्ते पर जमीन की लिखापढ़ी की जा रही थी, उसी बस्ते पर विवाद शुरू हो गया।
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पूर्व सैनिक फर्जी महिला मुन्नीदेवी व उसके साथी भारत सिंह पुत्र रामेश्वर दयाल निवासी दाउदगंज अलीगंज, एटा को थाने लेकर पहुंच गये। मौका देखकर सत्येन्द्र के साथ जमीन का एग्रीमेंट करने वाला मुनीश पुत्र अनीश निवासी नौलक्खा मौके से खिसक गये। लेकिन मजे की बात तो यह है कि पकड़ी महिला अपने आपको असली गंगादेवी बता रही है और उसके साथ थाने में गया भरत सिंह उसे अपनी रिश्तेदार बता रहा है। काफी देर पूछताछ के बाद आखिर पुलिस के सामने महिला टूट गयी। महिला ने बताया कि उसे विजय दुबे निवासी पुरौरी कंपिल ने भरत सिंह से मिलवाया था। जिसके बाद इस योजना को तैयार किया गया। उधर पुलिस अधिवक्ता को भी थाने ले आयी, जिसके बिस्तर पर लिखापढ़ी चल रही थी।
अधिवक्ता के समर्थन में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मंजेश कटियार, सचिव रविनेश यादव, संयुक्त सचिव विकास सक्सेना आदि पहुंच गये और पुलिस पर उस अधिवक्ता को छोड़ने का दबाव बनाया जिसके बिस्तर पर लिखापढ़ी हो रही थी। पुलिस ने मंजेश कटियार से कहा कि पूछताछ के बाद उसे छोड़ देंगे। जिस पर मंजेश कटियार सहमत हो गये। कुछ समय बाद अधिवक्ता मुन्ना यादव भी थाने पहुंचे और पुलिस से तत्काल अपने साथी को छोड़ने का दबाव बनाया और अनशन की चेतावनी दी। इसके बाद पुलिस ने अधिवक्ता को मुचलका पर छोड़ दिया।
थाना पुलिस ने अधिवक्ताओं को शांत कर आश्वासन दिया कि उन्हें पूछताछ के बाद छोड़ दिया जायेगा। फिलहाल पुलिस महिला मुन्नीदेवी, भरत सिंह, ज्ञानेश और अधिवक्ता सत्येन्द्र राजपूत से पूछताछ कर रही है। पीड़ित पूर्व सैनिक राकेश पाल ने घटना के मामले में थाने में तहरीर भी दी है। पुलिस का मानना है कि मामले में फर्जी जमीन बेचने का बड़ा खुलासा हो सकता है।