कानपुर: भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी रैली संबोधित करने मंच पर पहुचे। उससे पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी जनता का आशा और भरोसा बनकर आए हैं। साथ ही उन्होंने राज्य की जनता से आह्वान करते हुए कहा कि मोदी को यूपी की जनता आर्शीवाद दें।
कल्याण सिंह बोले इससे पहले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने शनिवार को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का बचाव करते हुए कहा कि कांग्रेस के जमाने में कई दंगे हुए। उन्होंने कहा कि गुजरात एक ऐसा राज्य है जहां नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राज्य का लगातार विकास हुआ है और वहां 2002 के बाद कोई दंगा नहीं हुआ। भाजपा की विजय शंखनाद रैली को संबोधित करते हुए कल्याण सिंह ने बीते दिनों हुए मुजफ्फरनगर दंगों के लिए उत्तर प्रदेश की सपा सरकार को दोषी ठहराते हुए उसपर जमकर हमला बोला।
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दंगों से बैकफुट पर आई सपा और खाद्य सुरक्षा व भूमि अधिग्रहण कानूनों का सियासी दांव चल चुकी कांग्रेस के बरक्स नरेंद्र मोदी शनिवार को कानपुर में विजय शंखनाद रैली के जरिये सूबे में भाजपा के चुनावी अभियान का आगाज करेंगे। इससे पहले गांधीनगर में उन्होंने पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी में भाषण देते हुए युवाओं को आहवान किया। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति देश के घाटे को भर सकती है। इस मौके पर उनके साथ भारत के मुकेश अंबानी भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने युवाओं के लिए कुछ नहीं किया।
दूसरी तरफ, कानपुर रैली के मंच से मोदी जहां विकास और सुशासन के मुद्दे पर भाजपा के सियासी विरोधियों को कठघरे में खड़ा करेंगे, वहीं पश्चिमी उप्र में हुई सांप्रदायिक हिंसा से बहुसंख्यक वर्ग विशेष में सरकार के प्रति उपजी नाराजगी को पार्टी के पक्ष में मोड़ने का मौका भी नहीं चूकेंगे।
चुनावी अभियान के शंखनाद के लिए कानपुर का चयन रणनीतिक कारणों से किया गया है। अगड़ों का ठप्पा लगी भाजपा के नये खेवनहार मोदी को यह बखूबी अहसास है कि पिछड़ों को लामबंद किये बिना उप्र में पार्टी के सियासी वनवास का अंत नहीं। यही वजह है कि मोदी के रणनीतिकारों ने उनके मुहिम के आगाज के लिए मध्य उप्र की पिछड़ा बाहुल्य उस बेल्ट को चुना है जो सपा का गढ़ होने के साथ कांग्रेस के दो केंद्रीय मंत्रियों-श्री प्रकाश जायसवाल और सलमान खुर्शीद का संसदीय क्षेत्र भी है। पिछड़ों और अति पिछड़ों को अपने पाले में खींचने की इस रस्साकशी में मोदी का साथ देने के लिए मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और उमा भारती जैसे कद्दावर नेता भी होंगे।
अलीगढ़ व रामपुर में राहुल गांधी की रैलियों के बाद कांग्रेस को निशाने पर लेने के लिए भी मोदी पर सबकी नजरें रहेंगी। पश्चिमी उप्र में हुई सांप्रदायिक हिंसा ने चुनावी ध्रुवीकरण के लिहाज से भाजपा के लिए कितनी उर्वर जमीन तैयार की, उप्र में अपने अभियान के श्रीगणेश के दौरान मोदी इसे भी भांपना चाहेंगे। दंगों के कारण सपा सरकार से ठाकुरों की नाराजगी को भाजपा के पक्ष में मोडऩे के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह भी मंच पर मोदी के बगलगीर होंगे। हिंदुत्व के उग्र चेहरे के रूप में पहचान रखने वाले मोदी के लिए जमायत उलेमा-ए-हिंद के जनरल सेक्त्रेट्री मौलाना महमूद मदनी का वह बयान भी मददगार साबित हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस मोदी का हौव्वा खड़ा कर रही है। मौलाना मदनी के इस बयान से ताकत पर मोदी मुसलमानों को यह पैगाम देना चाहेंगे कि उनकी स्वीकार्यता की बुनियाद विकास का उनका मॉडल है, न कि उनकी उग्र हिंदुत्ववादी छवि।