यूपी में शिक्षामित्रों को एक बार फिर से मानदेय बढ़ाए जाने का लालीपॉप दिया जा रहा है। इस बार मानदेय 3500 से बढ़ाकर 8500 रुपए किए जाने का आश्वासन दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने इस संबंध में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र भेजा है। हालांकि शिक्षामित्र इस बार झांसे में आने वाले नहीं हैं।
उनका कहना है कि पहले चरण का प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों के समायोजन के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने के साथ मानदेय बढ़ाने का आदेश जारी किया जाना चाहिए। तभी शिक्षामित्र मानेंगे कि सरकार उनका भला चाहती है। उत्तर प्रदेश में मौजूदा समय 1.56 लाख शिक्षामित्र प्राइमरी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं।
वर्ष 2011 में प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने शिक्षामित्रों को पत्राचार के माध्यम से दो वर्षीय बीटीसी का प्रशिक्षण देकर शिक्षक पद पर समायोजित करने का आदेश जारी किया था। लेकिन वर्तमान सरकार प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों को समायोजित करने के संबंध में स्पष्ट नीति नहीं जारी कर रही है। आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र कुमार शाही का कहना है कि मानदेय बढ़ाने की मांग काफी समय से की जा रही है।
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राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था जिसे वापस कर दिया गया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राज्य सरकार से कहा कि पहले वह मानदेय बढ़ाने संबंधी शासनादेश जारी करे, इसके बाद प्रस्ताव भेजे।
इसके बावजूद राज्य सरकार ने मानदेय बढ़ाने संबंधी शासनादेश जारी किए बिना ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय को दुबारा प्रस्ताव भेजा है। जितेंद्र कहते हैं कि सरकार को पहले स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
उसे आदेश जारी करना चाहिए कि प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षामित्रों को कब समायोजित किया जाएगा। शिक्षक बनाए जाने तक उन्हें मानदेय बढ़ाए जाने संबंधी आदेश जारी किया जाना चाहिए। शिक्षामित्र अब झूठे आश्वासन में आने वाले नहीं हैं।