फर्रुखाबाद: पूरी दुनिया में एक चुगलखोर की मजार है| फर्रुखाबाद से कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित इटावा में इस मजार पर लोग मन्नत मांगने जाते है और चुगलखोर को जूते मारते है| क्या ऐसी मिसाल आपने सुनी है| शायद नहीं| चुगली का अपना एक इतिहास है| मगर इस पर महिलाओ का अधिपत्य माना जाता रहा है| वक़्त बदला तो इतिहास भी बदला| औरतो की बहुत सी आदते मर्दों ने अपना ली| ये बात और है कि महिलाओ ने ज्यादा अतिक्रमण किया है| अभी तक बाबा रामदेव के अलावा किसी ने सलवार कुर्ता नहीं पहना| ऊँची एडी की सैंडल पर भी पुरुष मोहित नहीं हो पाए| पेट में बात पचाने के महिला अधिपत्य पर भी कब्ज़ा नहीं जमा पाए| मगर फर्रुखाबाद के भाजपाई नेता महिलाओ की चुगलखोरी की आदत हासिल करने में कामयाब लगते है| सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा के टिकेट के दावेदारों ने लखनऊ से दिल्ली तक अपनी टिकेट की पैरवी के साथ दूसरो की इतनी चुगली कर दी है अब भाजपा का टिकेट वितरण मंडल (कमेटी) भी कंफ्यूज हो गया है कि किसे टिकेट दे?
जेएनआई को विभिन्न स्रोतों से अब तक जो जानकारी मिली है उसके अनुसार क्या क्या किसके बारे में कहा गया है बड़ा ही चौकाने वाला है-
दो महिलाओ (डॉ रजनी सरीन और मिथलेश अग्रवाल) के बारे में तो यहाँ तक चुगली की गयी कि महिलाये ये चुनाव नहीं लड़ पाएंगी| इसके लिए सपा प्रत्याशी रामेश्वर यादव को खूब बढ़ा चढ़ा महिमा मंडित किया गया| उन्हें बहुत बड़ा दबंग साबित करते हुए कहा गया कि अलीगंज के इलाके में तो महिलाये घुस नहीं पायेगी चुनाव में| ठाकुर दावेदारों ने अपनी पैरवी मजबूत करते हुए बखान किया कि अलीगंज में मोर्चा केवल वे ही ले सकते है| कहा गया कि अगर डॉ सरीन चुनाव के दौरान बीमार पड़ गयी तो उनका चुनाव कौन लडेगा? डॉ रजनी के परिवार का एक भी सदस्य इंडिया में नहीं रहता| मिथलेश के बारे में कहा गया कि वे एक छोटी सी नगरपालिका चुनाव जीत पायी है| तब मुसलमान उनके साथ था अब तो मुसलमान भी साथ नहीं होगा| जातीय आंकड़ो में भी भी बनिया वर्ग नाम मात्र का है लोकसभा में| कहा गया कि वे तो कायमगंज (अपने गृह विधानसभा) तक से न जीत पायेगी|
[bannergarden id=”8″][bannergarden id=”11″]
पूर्व विधायक सुशील शाक्य का लेखा जोखा पेश करते हुए विरोधी दावेदारों ने उनके लगातार विधानसभा चुनाव हारने और कमजोर वित्तीय स्थिति को हाईलाइट किया है| उनके लिए उनके विरोधियो ने तर्क दिया कि जो विधानसभा चुनाव में जमानत नहीं बचा सका, लोकसभा चुनाव क्या जीतेगा| उनके साथ तो लोग चलने वाले नहीं है (सुशील शाक्य ताम झाम के साथ नहीं चलते है)| ऐसे में उनका जीतना नामुमकिन है|
चुगलखोरो ने चुगली की कि मुकेश राजपूत तो जिला पंचायत चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे है| उनका तो विरोध ही बहुत है| केवल एक बिरादरी से लोकसभा चुनाव कैसे जीतेगा? वे तो लोकसभा चुनाव को भी जिला पंचायत चुनाव मान कर ही चल रहे है| विधानसभा चुनाव तक तो जीत नहीं पाए आज तक| बगैरह बगैरह..|
चुगली करने वाले तर्क भी खूब निकाल कर ले गए| बिकुल सधे हुए| एक बार तो जो सुन ले यकीन ही कर जाए कि बताने वाला भाजपा का असली शुभचिंतक है| हरदोई के निवासी टिकेट के दावेदार राघवेन्द्र सिंह के बारे में कहा गया कि उन्हें तो नरेश अग्रवाल ने भेजा है| नरेश अग्रवाल का सलमान से पैक्ट हुआ है| भाजपा का कमजोर प्रत्याशी उतारने में मदद करने के लिए| भाई लोग कह आये कि यकीन न हो तो चेक करा ले राघवेन्द्र सिंह के साथ जो लोग फर्रुखाबाद में दौरा करते है उनमे से कई नरेश अग्रवाल के आदमी है|
तर्कों के साथ मुन्नू बाबू के बारे में जो तथ्य गिफ्ट किये गए वे भी देखे- कहा गया कि मुन्नू बाबू का ग्राफ गिर चुका है| ठाकुरों तक में उनकी पकड़ कमजोर है| ठाकुर बाहुल्य कमालगंज मोहम्दाबाद और राजेपुर क्षेत्र में अन्य दलों के ठाकुर नेताओ का बोलबाला हो गया| जहाँ कमालगंज और मोहम्दाबाद क्षेत्र में बसपा के नागेन्द्र राठौर का ठीक ठाक बोलबाला है तो गंगापार यानि राजेपुर क्षेत्र में सपा नेता अरविन्द प्रताप सिंह को लोग अपना नेता मानते है| जनता से दूरी बनाकर राजशाही अंदाज में उन्होंने सांसदी की इसलिए जनता उनसे दूर हो गयी| अपने बेटे तक को भोजपुर विधानसभा चुनाव तक न जीता पाए| दल बदलने में भी माहिर है| लोग बता आये कि उन्होंने तो फलां जगह मुलायम सिंह के साथ उन्हें देखा है| सपा में भी टिकेट के लिए तार जोड़े है| कमाल है| भाई लोग सलाह दे आये कि मुन्नू बाबू अगर कन्नौज से लड़े तो जीत सकते है|
अब इतनी सारी फीडबैक मिलने के बाद भाजपा आलाकमान कंफ्यूज न होगा तो क्या होगा| इधर बाबूजी यानि कल्याण सिंह भी अब पुरानी स्थिति में नहीं रहे है| नरेन्द्र मोदी का चुनाव है| अमित शाह को फैसले करने है| जुगाड़ चलने की गुंजाईश नहीं लगती है| वैसे भी कल्याण सिंह अपने पुत्र को राज्यसभा ( सम्भवत: अगले साल मई माह में चुनाव होने है) सीट जो कुसुम राय का कार्यकाल पूरा होने पर खाली होनी है में भेजने के लिए गोटी बिछा रहे है| बाबूजी अपने पुत्र की पैरवी करेंगे या फिर किसी और की| कोटा तो सीमित है| वैसे भी कल्याण सिंह यह समझ चुके है कि अपनी जिद के कारण बहुत नुक्सान अपने करियर का हो चुका है| लिहाजा अब पुरानी स्थति तो है नहीं कि जिद पर अड़ सके कि फलां को टिकेट दो नहीं तो…|
अब टिकेट के दावेदारों में खुद को प्रोमोट करने के साथ विरोधियो को पछाड़ने में भी माथापच्ची करनी पड़ रही है| मगर सुना है टिकेट दिल्ली से जब फरबरी 2014 में जारी होगा, न सुना जायेगा, न संशोधन होगा| नरेन्द्र मोदी के लिए 272+ का सवाल जो है| हाँ अंत में बात चुगलखोर की मजार की| एक बार जरुर जाइएगा..| पता नहीं फर्रुखाबाद में भी कभी बनबानी पड़े|