शहर में बीते 60 साल में करवा चौथ मनाने का अंदाज पूरी तरह बदल चुका है। कहीं टाइम फैक्टर तो कहीं, सिमटते परिवार की वजह से यह सेलिब्रेशन का दायरा तेजी से सिमटता जा रहा है।
व्रत क्यों रखते हैं?
व्रत भगवान के नजदीक होने का एक माध्यम है। व्रत करने से आत्मा शुद्ध होती है और संयम व पवित्रता भक्ति का एक उत्तम मार्ग है। यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है। हिंदू मान्यता के मुताबिक करवा चौथ का व्रत पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती है। व्रत करके वो कामना करती है कि उसका पति स्वस्थ और समृद्ध हो।
चौथ का करक
मिट्टी का कलशनुमा पात्र करवे के बिना यह व्रत अधूरा है। इस करवे को गणोश का एक स्वरूप माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि करक के दान में सुख, सौभाग्य सुख, समृद्धि और पुत्र की प्राप्ति होती है और इसको दान करने से मनोकामना पूरी होती है।
मेहंदी का रंग
भारतीयों में मेहंदी को शुभ और खुशहाली से जोड़कर देखा जाता है। चाहे शादी ब्याह हो या वार त्यौहार शुभ अवसरों पर भारतीय महिलाएं मेहंदी से अपने हाथ और पैर सजाती हैं। और यूं भी शगुन मेहंदी बिना अधूरा होता है।
करवा चौथ का उजमन
उजमन करने के लिए एक थाली में तेरह जगह चार-चार पूड़ी और थोड़ा सा शीरा रखा जाता है। उसके ऊपर एक साड़ी, ब्लाउज और रुपए रखकर थाली के चारों ओर रोली से हाथ फेरकर अपनी सास के पैर छूकर उन्हें भेंट किए जाते हैं। इसके बाद तेरह ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दक्षिणा देने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
चांद को अर्क देना
चन्द्र-देव भगवान शंकर के भाल पर सुशोभित हैं। यही वजह है कि चन्द्र की अराधना उनका पूजन और अर्क देकर ही सम्पन्न की जाती है। वस्तुत शंकरजी की प्रत्येक उपासना और गौरीजी के व्रत का पूजन चन्द्रदेव का अर्क देकर ही सम्पूर्ण होता है।
दिशा ज्ञान जरूरी
देवताओं की प्रतिमा या चित्र का मुख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। और पूजन के लिए स्वयं का मुख पूर्व दिशा की ओर करके बैठना चाहिए क्योंकि ज्ञान, तेज और शक्ति का स्वामी पूर्व से ही उदित होता है।
पूजा थाली में क्या
करवा की कथा की किताब, सिंदूर और कुमकुम, मौली, करवा, पूजा थाली, चढ़ावा और उपला, चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्च दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, अक्षत, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, बिछुआ, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ।