FARRUKHABAD : दशानन रावण की नगरी लंका का स्वरूप कारीगरों ने बड़े ही रोचक ढंग से तैयार किया था। लेकिन जब उसमें आग लगाने का समय आया तो लंका नहीं जली। मजबूरी में कारीगरों ने लंका को तोड़कर रावण के पुतले पर डाल दिया। इस दौरान दर्शकों ने लंका की लकड़ी इत्यादि लूटने में काफी बबाल मचाया।
रावण, कुम्भकरण, मेघनाथ के वध के उपरांत उनका पुतला दहन कार्यक्रम भी समाप्ति की ओर था। बारी थी लंका को जलाने की। कारीगर पुतलों में आग लगाकर लंका में आग लगाने पहुंचे। दर्शक कौतूहल से उस ओर देख रहे थे। तकरीबन आधा घंटे के प्रयास के बाद भी लंका में आग नहीं लगी और लगी भी तो थोड़ी देर में बुझ गयी। यह देखकर और कई कारीगर भी बुला लिये गये। लेकिन वह भी दशानन की नगरी लंका का स्वरूप जलाने में नाकाम साबित हुए।
[bannergarden id=”8″][bannergarden id=”11″]
थक हारकर कारीगरों ने सोचा कि क्यों न लंका को तोड़कर रावण के पुतले के ऊपर ही डाल दिया जाये। जैसे ही कारीगरों ने लंका के स्वरूप की एक दीवार उठाकर पुतले पर डाली तो जनता बैरीकेटिंग कूदकर लंका के स्वरूप पर टूट पड़ी। जिसे जहां मौका मिला वह लंका के स्वरूप में लगी बांस की लकड़ियों को लूटने में जुट गया। इस पर पुलिस ने कई दर्शकों को लाठियां भांजकर खदेड़ा। रावण के पुतले की लकड़ी लूटने को लेकर प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी काफी हो हल्ला हुआ।