लखनऊ: प्रदेश के कई सार्वजनिक उपक्रमों व निगमों की माली हालत खराब है। कर्मचारी गिनती के हैं। वे वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार उन्हें पांचवें व छठे वेतनमान का लाभ नहीं दे रही।
तर्क है कि निगमों की वित्तीय स्थिति बेहद खराब है। हालांकि इन्हीं निगमों पर खर्च का बोझ बढ़ाते हुए सरकार ने मंत्री-राज्यमंत्री का दर्जा देकर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सलाहकारों की नियुक्ति कर दी है।
कई निगम तो ऐसे हैं जिनके महीने भर का जितना कुल खर्च आता है, दर्जा प्राप्त मंत्रियों की सुख-सुविधा पर उससे ज्यादा खर्च हो जाता है। छठे वेतन आयोग के लाभ से वंचित कर्मियों को इस तरह की राजनैतिक नियुक्तियां पच नहीं रही हैं।
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चौंकाने वाली बात यह है कि दर्जा प्राप्त मंत्रियों की नियुक्ति कई ऐसे निगमों में भी की गई है, जहां कर्मचारियों की संख्या अंगुलियों पर गिनी जा सकती है। पश्चिम गन्ना बीज एवं विकास निगम में केवल चार कर्मचारी बचे हैं।
पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम में 14 कर्मचारी बचे हैं तो मत्स्य विकास व हथकरघा निगमों का भी हाल बहुत ठीक नहीं हैं। मगर इन सभी जगह सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा देकर निगम अध्यक्षों की ताजपोशी की है।
पश्चिम गन्ना बीज विकास निगम
पश्चिम गन्ना बीज विकास निगम के नाम से लगता है कि यह गन्ना को लेकर प. यूपी में क्रांति कर रहा होगा। मगर हालात ये हैं कि यहां कुल चार कर्मचारी बचे हैं।
निगम के भविष्य पर भी अटकलें लगती रहती हैं। हालांकि सरकार ने इस पर गौर करने की जगह राज्यमंत्री का दर्जा देकर एक अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी। अब कर्मचारी संगठन इस तरह की तैनाती पर मुखर हैं।
पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम
पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम में कुल 14 कर्मचारी हैं। ये छठें वेतनमान के लाभ से वंचित हैं। कर्मचारियों का कहना है कि महज 50 हजार रुपये अतिरिक्त मासिक खर्च पर उन्हें छठे वेतनमान का हक मिल सकता है।
मगर सरकार ने इस पर ध्यान देने की बजाय इन कर्मचारियों पर राज करने के लिए एक अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी है। राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त ये अध्यक्ष हवाई यात्रा के शौकीन हैं जिस पर निगम को इससे ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं।
हथकरघा निगम
हथकरघा निगम के 259 कर्मचारी चौथा वेतनमान पा रहे हैं। 2002 से महंगाई भत्ता नहीं मिला। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी 3200 रुपये पाते हैं जो मनरेगा में मजदूरों को मिलने वाली मजदूरी से भी कम है।
सरकार ने निगम की बेहतरी के लिए क्या किया, विभाग के लोगों को नहीं मालूम। निगम कर्मी लंबे अर्से से भत्ते और छठे वेतन आयोग की उम्मीद संजोए थे। सरकार ने इस पर गौर करने की जगह राज्यमंत्री का दर्जा देकर एक अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी।
कर्मचारी कल्याण व वित्तीय निगम
यूपी कर्मचारी कल्याण निगम में 870 और यूपी वित्तीय निगम में 550 कर्मचारी हैं। इन्हें छठे वेतनमान देने की स्वीकृति के लिए गठित समिति ने दोनों ही निगमों के कर्मियों को इसका लाभ देने की संस्तुति कर दी है। निर्णय के लिए प्रस्ताव मंत्रिपरिषद को जाना है। मगर नौ महीने होने वाले हैं, कार्यवाही का अता-पता नहीं है।