सरकार की हो रही बदनामी- “हमारी बेटी उसका कल” योजना की हो रही चेक बाउन्स

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Gulfashanफर्रुखाबाद: सरकार की बदनामी हो रही है| सरकारी सहायता की योजना वाली चेके बाउंस हो रही है| सवाल उठ रहे है- जब पैसा ही नहीं है जब क्यों दिखावे के लिए बाट दी चेक| जनता है, किस किस का मुह पकड़ लोगे| विरोधियो को भी मौका मिल रहा है| अब तो तहसील दिवस में लिखित शिकायत भी दर्ज करा दी गयी है| लेकिन क्या सचमुच सरकार के खाते में पैसा ख़तम हो गया है? क्या उत्तर प्रदेश सरकार का हाल ओबामा की सरकार जैसा हो गया है? नहीं ये सच नहीं है| दरअसल में समाज कल्याण विभाग के बाबू और अफसर अखिलेश यादव की सरकार की बदनामी जानबूझकर करा रहे है| बच्चो से 5000-5000 की घूस वसूलने के लिए चेके रोकी गयी| जब गरीब और विकलांग घूस का इंतजाम कर पाए तब तक देर हो गयी और चेके बाउंस हो गयी| साहब ने अपना हिस्सा लिया, बाबू ने अपने निर्माणाधीन महल के लिए आलीशान सामान मंगवा लिया और सपा सरकार की बदनामी का इंतजाम कर दिया|
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तो ऐसे हो रही है सपा सरकार में सरकारी योजना की चेक बाउंस| है कोई जिले में ऐसा बड़ा सपाई नेता जो इस मुद्दे को हल करा सके| सरकार की बदनामी कराने वालो को सजा दिला सके| यक्ष प्रश्न है! या फिर बड़े नेता की सेटिंग बड़े अफसर के साथ और छोटे नेता की सेटिंग छोटे अफसर/बाबू के साथ वाला चलन सपा में भी है ये मान लिया जाए|

घूस का इंतजाम करने में देर हो गयी-
भूमिका के बाद अब असल खबर| फर्रुखाबाद जनपद के जहानगंज थाना अंतर्गत गाँव अहमदपुर देवरिया निवासी गुलफशा पुत्री मसीह यही नाम है उस बेटी का जो विकलांग भी है| चलने फिरने में लाचार है| उसका नाम दिसम्बर 2012 में “हमारी बेटी उसका कल” हर अल्पसंख्यक बच्चियो के लिए चल रही योजना में आया| इस योजना में उसे 30000/- की सरकारी चेक मिलनी थी| सरकार ने कोई घोटाला न हो जाए इसके लिए व्यवस्था ऑनलाइन कर दी| लिहाजा जैसे ही उसका फार्म अपलोड हुआ उसे SMS से जानकारी मिल गयी कि उसका नाम योजना के लिए चयन हो गया है|
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अब बेटी निश्चिंत हो गयी कि उसे बुलाया जायेगा और चेक मिलेगी| विकास भवन में लाभार्थियो की सूची भी टांगी गयी| यहीं पर सरकार की पारदर्शिता की अर्थी दफ्तर के बाबू ने निकाल दी| योजनावद्ध तरीके से उसने सूची में से कुछ नाम उड़ा दिए| बच्ची तो समझ रही थी कि जब एस एम् एस आ गया तो समझो काम हो गया| मगर शायद ये उसकी भूल थी| उसका भाई फहीम मुख्यालय पर सूची देखने आया तो बहन का नाम गायब देख चकरा गया| उसने बाबू से मुलाकात की| अल्पसंख्यक दफ्तर में सबसे घाघ बाबू| जिले में करोडो के वजीफे के घोटाले का सूत्रधार रह चुका बाबू यहाँ भी नहीं चूका| ऐसा आरोप है| हालाँकि इतने कमाऊ बाबू की कभी जाँच नहीं होती क्योंकि उनके साहब बराबर के भागीदार होते है| साहब ऊपर के साहबो को संतुष्ट किये रहते है| फिलहाल इन बाबूजी का नाम है अत्रेय राठोर| गुलशफा ने तहसील दिवस में दी गयी शिकायत में कहा है कि उसके भाई ने बाबू से सम्पर्क किया तो उसने कागजो में कमी बता दी| पूर्ति करने के लिए 5000/- की घूस की रकम भी खुल गयी| उसे इतना डरा दिया बाबू ने कि इधर उधर कहा तो एक पैसा भी नहीं मिल पायेगा| बेचारा गरीब क्या करता| दो महीने बाद जब वो 5000 रुपये की घूस इंतजाम कर पाए तो उसे 05/02/2013 को चेक बाबूजी ने दे दी| मगर यहीं पर शातिर बाबू ने एक चाल और चली गयी| चेक देते समय जो हस्ताक्षर कराये गए उस पर तारीख दिसम्बर 2012 की ही डाली गयी| हुज्जत करने पर बाबू ने फिर हडकाया कि कैसिल कर दूंगा| ऐसा गुलफशा का कहना है| बेटी को चेक मिली तो उसके भाई ने उसी दिन बैंक में जमा कर दी| मगर बैंक वाला भी शायद उस बाबू से हिला मिला था| चेक जमा देने के 15 दिन बाद बैंक कर्मी ने क्लीयरिंग के लिए भेजी तब तक बहुत देर हो गयी थी| चेक कालातीत हो चुकी थी और बाउंस हो गयी| क्या कभी किसी ने ऐसा किया है कि मुफ्त में तीस हजार मिले हो और बैंक में चेक जमा करने की जगह उसे तकिये के नीचे रखकर सोता रहा हो| वो भी तब जब घर में इतनी बड़ी रकम दशको बाद देखने को मिली हो| मगर जाँच में अल्पसंख्यक अधिकारी और बाबू आरोप उल्टे बेटी पर ही लगायेंगे कि ये चेक घर पर रखे रहे| अगर जाँच इमानदार अफसर ने नहीं की तो नतीजा कुछ कुछ ऐसा ही होगा|gulshafa,s mother

अब बाबू घूस की रकम वापस करने को तैयार है| दरअसल में मामला चौड़े में आ चुका है| गुलफशा जैसे एक दर्जन बेटिया चेक बाउंस जैसी समस्या की शिकार हुई है और सबकी कहानी एक जैसी है| तहसील दिवस में शिकायत हुई है| क्या एडीएम अलोक कुमार जिन्होंने प्राथना पत्र लिया इस बेटी को इन्साफ और सम्बन्धित बाबू को सजा दिला पाएंगे? क्या बेटी को चेक दुबारा मिल सकेगी? क्या होगा शिकायत और जाँच का? क्या बेटी को घूस की रकम वापस मिल पायेगी? क्या न्यायिक जाँच होगी? या जाँच कमेटी बनेगी? क्या कोई सपा नेता अपनी सरकार की हो रही बदनामी को रोक पायेगा? सवाल बहुत है और हर सवाल का जबाब भी| जैसे जैसे शिकायत तहसील से आगे बढ़ेगी सच मानिये इन्साफ और न्याय मिले न मिले, जेएनआई का रिपोर्टर जनता तक उसकी रिपोर्ट जरुर पहुचायेगा|