लखनऊ: कमजोर तबके के अल्पसंख्यक परिवारों की दसवीं पास बेटियों को 30,000 रुपये देने संबंधी राज्य सरकार की ‘हमारी बेटी, उसका कल’ योजना पर हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सरकार से चार हफ्ते में जवाब तलब किया है।
योजना को संविधान की मंशा के खिलाफ और भेदभावपूर्ण बताते हुए चुनौती दी गई है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि योजना कैसे तर्कसंगत है?
न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा एवं न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने मंगलवार को यह आदेश ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ की महासचिव रंजना अग्निहोत्री समेत 17 स्थानीय वकीलों की पीआईएल पर दिया।
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इसमें योजना को संविधान में दिए गए समानता के अधिकार की भावना के खिलाफ बताया गया है। याचिका में योजना व उससे संबंधित 17 अक्टूबर 2012 के शासनादेश को रद्द किए जाने का आग्रह किया गया है। साथ ही आग्रह किया गया कि योजना के तहत तय पात्रता वाले बहुसंख्यक हिंदू समुदाय की बेटियों को भी इसका लाभ दिया जाए।
याचियों की तरफ से अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने तर्क दिया कि 36,000 रुपये सालाना आमदनी के दायरे में आने वाले सभी परिवारों की बेटियों को योजना का लाभ दिया जाना चाहिए।
सरकार ने योजना को बताया वाजिब
उधर राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल ने याचिका का विरोध कर दलील दिया कि सरकार कमजोर तबके के अल्पसंख्यक परिवारों की लड़कियों के लिए यह योजना लागू कर सकती है।
उन्होंने विस्तृत जवाब के लिए समय दिए जाने का आग्रह किया। इस पर कोर्ट ने जवाब के लिए 4 हफ्ते का समय दे दिया। इसके बाद हफ्ते भर में याचिकाकर्ता प्रति उत्तर दाखिल कर सकेंगे। मामले की अगली सुनवाई पांच हफ्ते बाद होगी।