गोष्ठी में हिन्दी को रोजगारपरक भाषा बनाने पर विचार विमर्श

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FARRUKHABAD : साहित्यिक संस्था अभिव्यंजना का हिन्दी पखवाड़ा के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी को समर्पित संगोष्ठी आयोजित की गयी। जिसमें हिन्दी को रोजगारपरक भाषा बनाने के विचार विमर्श के साथ ही काव्य गोष्ठी में कविगणों ने काव्यपाठ किया।

संगोष्ठी में संस्था प्रमुख डा0 रजनी सरीन द्वारा मां शारदे के चित्र पर दीप प्रज्वलन कर माल्यार्पण डा0 राजकुमार सिंह एवं डा0 श्रीकृष्ण गुप्त के सहयोग से किया गया। संस्था प्रमुख डा0 रजनी सरीन ने अपने वक्तव्य में कहा कि विश्व में हर जगह हिन्दी की स्थिति मजबूत हो रही है। भारत में भी युवाओं को आगे आकर हिन्दी को मजबूत बनाना ही होगा। यही समय की मांग है।nimish tandan - sanjay gurg

उन्होंने बताया कि हिन्दी में उनकी बहू को भारत में रिसर्च करने का मौका इसलिए मिला क्योंकि वह हिन्दीभाषी हैं। विश्व हिन्दी सम्मेलन के अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष दाऊ जी गुप्ता आगामी संस्था कार्यक्रम में सम्मलित होंगे।

इसके बाद उपस्थित कविगणों ने काव्यपाठ किया। काव्यपाठ करने वालों में डा0 कृष्णकांत त्रिपाठी अक्षर, ज्योति स्वरूप अग्निहोत्री, दीपिका त्रिपाठी, रघुनंदन प्रसाद दीक्षित प्रखर, उपकार मणि उपकार, प्रो0 शिवेन्द्र विजय, निमिष टन्डन, भारती मिश्रा, सैय्यद तारिक मियां, रजनीकांत चतुर्वेदी हरफन, दिनेश अवस्थी, हरिओम प्रकाश आदि शामिल हैं।

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कवियों व साहित्यकारों को उत्तरीय ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। संस्था के समन्वयक डा0 राजकुमार सिंह ने हिन्दी को सम्पर्क भाषा बनाने पर जोर देते हुए कहा कि वास्तव में राजभाषा का दर्जा मिलना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा0 श्रीकृष्ण गुप्त ने की। संचालन उपकार मणि उपकार ने किया। इस दौरान ओमप्रकाश गुप्ता, जवाहर सिंह गंगवार, कैलाश कटियार, संजय गर्ग, त्रिलोकी नाथ गुप्ता, संतोष प्रजापति आदि मौजूद रहे।