लखनऊ: पंचायत चुनाव में निर्धारित सीमा से अधिक धनराशि खर्च करने और आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले प्रत्याशियों का मतगणना के बाद रिजल्ट घोषित नहीं किया जाएगा। जिनका रिजल्ट घोषित नहीं होगा, उनका पुनर्मतदान कराया जाएगा।
राज्य निर्वाचन आयोग के संयुक्त आयुक्त जे.पी.सिंह और उप आयुक्त एस.के.दुबे ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयुक्त राजेन्द्र भौनवाल ने कुछ प्रत्याशियों के आचार संहिता के उल्लंघन और चुनाव में मनमानी खर्च किये जाने की लगातार मिलती शिकायतों पर यह निर्णय लिया है। आयोग ने सदस्य ग्राम पंचायत के लिए अधिकतम धनराशि 5 हजार रुपये, प्रधान ग्राम पंचायत के लिए 30 हजार रुपये, सदस्य क्षेत्र पंचायत के लिए 25 हजार और सदस्य जिला पंचायत के लिए अधिकतम धनराशि 75 हजार रुपये खर्च किये जाने की सीमा तय की गयी है। लेकिन कुछ प्रत्याशियों द्वारा निर्धारित धनराशि की सीमा पहले ही पूरी कर लेने की शिकायतें आयी है। इसी तरह कुछ प्रत्याशी लगातार आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं।
आयोग ने तय किया है कि इस संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारी से रिपोर्ट मांगी जाएगी। रिपोर्ट के बाद ही प्रत्याशियों का परिणाम घोषित किया जाएगा। अधिक धनराशि खर्च किये जाने के मामले में सभी जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट तैयार करायी जा रही है। इसी तरह आचार संहिता उल्लंघन के मामले में धारा-144 के उल्लंघन (बिना अनुमति सभा करने), एमबी एक्ट में परिवर्तन करने, किसी प्रत्याशी के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद आईपीसी के 171 एच के मामले का अवलोकन किया जाएगा।
रिपोर्ट तलब
जिलाधिकारी गोरखपुर अजय कुमार शुक्ला द्वारा एक मंत्री के खिलाफ की गयी शिकायत के जवाब में क्लीन चिट दिये जाने से क्षुब्ध आयोग ने डीएम गोरखपुर से फिर रिपोर्ट तलब की है। राज्य निर्वाचन आयुक्त राजेन्द्र भौनवाल ने डीएम गोरखपुर से पूछा है कि यह बतायें कि आचार संहिता लागू होने के बाद गोरखपुर जिले के कैबिनेट मंत्री ने कितने विभागीय एवं अन्य दौरे किये हैं। इसकी रिपोर्ट वह तत्काल आयोग को भेजें।
गोरखपुर के कैम्पियरगंज निवासी चक्रधर सिंह श्रीनेत पिछले दिनों राज्य निर्वाचन आयुक्त से शिकायत किया था कि गोरखपुर निवासी एक मंत्री अपनी पत्नी जो जिला पंचायत सदस्य पद की प्रत्याशी है, के लिए भारी संख्या में वाहनों का प्रयोग कर रहे हैं। शिकायतकर्ता ने अपनी सुरक्षा की गुहार लगाते हुए मंत्री द्वारा किये जा रहे आचार संहिता के उल्लंघन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। इस पर जब आयोग ने डीएम गोरखपुर से रिपोर्ट तलब की तो उन्होंने मंत्री को पूरी तरह से क्लीन चिट दे दिया था, जिस पर दोबारा रिपोर्ट मांगी है