लखनऊ: अयोध्या में विवादित ज़मीन के तीन हकदारों में से एक निर्मोही अखाड़े ने सुलह समझौते की तमाम कोशिशों को नकारते हुए कहा है कि इस मामले में आगे तभी बात हो सकती है जब मुसलमान तीसरे हिस्से पर अपना दावा छोड़ दें। निर्मोही अखाड़े के इस ताज़ा दांव से इस मामले में सुलह की कोशिशों को झटका लगा है।
निर्मोही अखाड़े के रुख में यह नाटकीय बदलाव शुक्रवार को आया जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता विनय कटियार ने अखाड़े के सरपंच महंत भास्कर दास से अयोध्या के मशहूर हनुमान गढ़ी मंदिर में लंबी बातचीत की। दास ने मीडिया से कहा, हम बातचीत में तभी शामिल होंगे जब मुसलमान ज़मीन पर अपना दावा छोड़ दें। हालांकि, विवादित जमीन के दावेदार रामलला विराजमान का प्रतिनिधित्व करने वाले विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेता राम विलास वेदांती ने समझौते की कोशिशों के पटरी से उतरने की बात नकारते हैं। उन्होंने कहा, बातचीत की प्रक्रिया जारी रहेगी। बातचीत पर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि विवादित से जुड़े पक्ष सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं।
लखनऊ में आज ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी की बैठक हो रही है। इस मीटिंग में बोर्ड फैसला करेगा कि सुलह-समझौते की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाए या फिर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के अयोध्या की विवादित ज़मीन के मालिकाना हक के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाए। गौरतलब है कि 30 सितंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने विवादित जमीन के तीन हिस्से करते हुए तीनों दावेदारों-निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान और मुस्लिमों में ज़मीन बांटने का आदेश दिया था।