अवैध फीस मत देना- बीएड की 28 हजार सीटे 4 महीने बाद भी खाली है

Uncategorized

up bedराज्य संयुक्त बीएड प्रवेश की प्रक्रिया अंतहीन होती नजर आने लगी है। प्रदेशभर के स्ववित्तपोषित बीएड कॉलेजों में विशेष काउंसलिंग के पहले तक 48,481 सीटें खाली थीं जिसके सापेक्ष गुरुवार शाम पांच बजे तक 19,582 अभ्यर्थियों ने ही कॉलेज चुने। ऐसे में 28,899 सीटें खाली रह जाएंगी।
बीएड प्रवेश के राज्य समन्वयक प्रो. सुरेंद्र दुबे और सह समन्वयक डॉ. हर्ष सिन्हा के मुताबिक विशेष काउंसलिंग के लिए कुल 38, 368 अभ्यर्थियों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया था। 19,890 अभ्यर्थियों ने अपने प्रमाण-पत्रों का सत्यापन कराया। अब शुक्रवार शाम पांच बजे तक कॉलेजों का आवंटन कर दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के 915 स्ववित्तपोषित बीएड कॉलेजों की सभी सीटें भरने के लिए इस बार प्रदेशभर में 12 काउंसलिंग सेंटर बनाए गए थे। ज्यादा सीटें मेरठ और आगरा में खाली थीं।
लिहाजा उन दोनों जिलों में दो-दो केंद्र बने थे। इसके बावजूद जितने अभ्यर्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया, उसमें से ही 18,478 अभ्यर्थी काउंसिलिंग के लिए नहीं आए।

कल से भरे जाएंगे फॉर्म

गोरखपुर विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध कॉलेजों की बीएड परीक्षा के लिए शनिवार से ऑनलाइन फॉर्म भरे जाएंगे। फॉर्म भरने की अंतिम तारीख सात सितंबर है।
अभ्यर्थी 31 अगस्त से 10 सितंबर तक परीक्षा फीस जमा कर सकेंगे। यह जानकारी परीक्षा नियंत्रक प्रो. एनएन त्रिपाठी ने दी है। उन्होंने बताया कि बीएड सत्र 2012-13 की परीक्षाएं अब दो की बजाय 20 सितंबर से शुरू होंगी।
प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि फॉर्म की हार्डकाॅपी, इलाहाबाद बैंक में ई-चालान से जमा परीक्षा शुल्क की रसीद और अन्य दस्तावेज 13 सितंबर तक विवि पहुंच जाने चाहिए।
संस्थागत छात्रों के लिए- परीक्षा शुल्क 2335 रुपये, पूर्व छात्रों के लिए 3961 रुपये और अंक सुधार के लिए 786 रुपये फीस देनी होगी।
[bannergarden id=”8″][bannergarden id=”11″]
दोहरे आदेश से दुविधा
बीएड प्रवेश के मामले में आयोजक गोरखपुर विश्वविद्यालय की प्रवेश संचालन समिति भी ऊहापोह की स्थिति में है।
एक तरफ तो सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश हैं कि स्ववित्तपोषित कॉलेजों की अंतिम सीट भरे जाने तक काउंसलिंग जारी रहे लेकिन इसमें कोर्ट और शासन का एक निर्देश भी आड़े आ रहा है जिसके तहत दाखिले के बाद न्यूनतम 180 दिन कक्षाओं का संचालन जरूरी है।
ऐसे में अगर प्रवेश प्रक्रिया लंबी खिंचती है तो पढ़ाई का मानक पूरा नहीं हो पाएगा। नतीजा सत्र पिछड़ेगा।