उत्तर प्रदेश में एक ही कैम्पस में चलने वाले बेसिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय अब एक हेडमास्टर के अधीन होंगे।
इस व्यवस्था को लागू करने पर शासन स्तर पर सहमति बन चुकी है। इसके क्रियान्वयन के लिए बेसिक शिक्षा निदेशक से स्कूलों का आंकलन कर 15 नवम्बर तक रिपोर्ट देने को कहा गया है।
शैक्षिक सुधारों के लिए प्रमुख सचिव दुर्गाशंकर मिश्र की अध्यक्षता में गठित समिति ने सहायक बेसिक अधिकारियों से सुझाव मांगे थे। इस सिलसिले में उत्तर प्रदेश विद्यालय निरीक्षक संघ के प्रतिनिधियों ने भी शासन को अपने सुझाव दिये थे। संघ ने एक ही कैम्पस और एक ही मजरे में चलने वाले कक्षा एक से पांच तक तथा उच्च प्राथमिक स्कूलों में अलग-अलग हेडमास्टर के बजाय एक ही हेडमास्टर की नियुक्ति समेत कई सुझाव दिये।
संघ के इन्हीं सुझावों पर प्रमुख सचिव दुर्गाशंकर मिश्र की अध्यक्षता में बैठक हुई। इसमें सचिव बेसिक शिक्षा अनिल संत, माध्यमिक शिक्षा सचिव जितेन्द्र कुमार, सचिव मुख्यमंत्री चन्द्रभानु, निदेशक माध्यमिक शिक्षा संजय मोहन और निदेशक बेसिक शिक्षा दिनेश कनौजिया और विभाग के अन्य अफसरों के अलावा संघ के महामंत्री प्रमेन्द्र कुमार शुक्ल और प्रकाशन मंत्री अजय विक्रम सिंह भी मौजूद थे।
बैठक में संघ के प्रस्ताव पर विचार करते हुए तय हुआ कि प्रबंधन लागत में कमी लाने और शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए एक ही मजरे और एक ही कैम्पस में चलने वाले बेसिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को कक्षा एक से आठ तक का दर्जा देते हुए वहां एक ही हेडमास्टर के हवाले शिक्षण कार्य कर दिया जाय। प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री दुर्गाशंकर मिश्र ने इस बारे में बेसिक शिक्षा निदेशक दिनेश कनौजिया को प्रदेश में संचालित हो रहे ऐसे स्कूलों का ब्यौरा एकत्र कर 15 नवम्बर तक रिपोर्ट शासन को देने को कहा है। संघ के अन्य सुझावों पर बाद में विचार होगा।