लोकसभा चुनाव के महाभारत में जीत हासिल करने के लिए जुटी भाजपा सितंबर से अपने प्रत्याशियों के नाम घोषित करने की तैयारी में है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश के लिए पार्टी सबसे पहले उम्मीदवारों का ऐलान करना चाहती है।
रविवार को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने मिशन ‘272 प्लस’ को सफल बनाने के लिए जो गुर बताए उनमें प्रत्याशियों का चयन भी सबसे अहम मुद्दा रहा। पार्टी इस बार जीतने वाले प्रत्याशियों पर दांव लगाने पर जोर देगी और तय समय से पहले ही उम्मीदवारों का चयन कर लेगी।
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जदयू से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा अब शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी।
दोनों सहयोगियों के लिए सीटें छोड़ने से बाद भाजपा ने बाकी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है क्योंकि पार्टी को चुनाव से पहले एनडीए के साथ किसी अन्य दल के जुड़ने की कोई संभावना नहीं दिख रही है।
शीर्ष नेतृत्व भी मानता है कि 272 प्लस का आंकड़ा अकेले दम पर पाना आसान नहीं है। वैसे भी पार्टी अब तक लोकसभा की 543 सीटों में से लगभग 390 पर ही चुनाव लड़ती रही है।
इनमें से लगभग 100 सीटें ऐसी रही हैं जिनसे पार्टी को पहले से ही ज्यादा उम्मीद नहीं रहती थी, लेकिन इस बार भाजपा समेत एनडीए सभी 543 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहा है।
पार्टी की दलील है कि देश में लगभग 300 सीटें ऐसी हैं जिन पर भाजपा ने कभी न कभी एक बार जरूर जीत हासिल की है।
पिछले चुनाव में पार्टी लगभग 160 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी। इसलिए पार्टी के लिए 200 का आंकड़ा पार करना मुश्किल नहीं है।
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बैठक में प्रत्याशियों के चयन के साथ ही चुनाव प्रबंधन व बूथ स्तर पर मौजूदगी और नए मतदाताओं से संपर्क पर जोर दिया गया।
पार्टी नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव अमित शाह से कह दिया है कि सितंबर से प्रदेश के लिए प्रत्याशियों के चयन की शुरुआत कर दी जाए। अन्य राज्यों के प्रभारियों से भी ऐसा ही कहा गया है।