दिल्ली: कोलकाता की प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी में अब प्यार भी कोर्स में शामिल हो गया है. यानी की अब यूनिवर्सिटी में प्यार करने वाले युवा प्रेम के ढाई अक्षर की गहराई को और अच्छे से समझ सकेंगे.
कोलकाता के प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी में अब तक ह्यूमैनिटीज और विज्ञान के आम शैक्षिक पाठ्यक्रमों से अवगत रहे छात्रों के लिए ‘Love’ पाठ्यक्रम का विकल्प भी है. हालांकि ‘लव’ के साथ-साथ ‘डिजिटल ह्यूमैनिटीज’ और ‘द फिजिक्स ऑफ एवरीडे लाइफ’ पाठ्यक्रम भी होंगे और तीनों ही वैकल्पिक होंगे. हो सकता है कि ग्रैजुएशन कर रहे ज्यादातर छात्रों के लिए ‘लव’ ही पहला वैकल्पिक पाठ्यक्रम हो.
अंग्रेजी और दर्शनशास्त्र विभागों के परिसर में अब तक प्यार का विषय रहा ही है. अब पहली बार किसी इंडियन यूनिवर्सिटी में सामाजिक विज्ञान विभाग में एक विषय के तौर पर ‘लव’ को जगह मिली है. इससे पहले केवल अमेरिका के मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी में ग्रैजुएशन स्तर के पाठ्यक्रम में ‘सोशियोलॉजी ऑफ लव’ पढ़ाया जाता है. प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान विभाग की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले प्रोफेसर ई प्रशांत राय ने बताया, ‘लव पाठ्यक्रम छात्रों का ध्यान आकर्षित कर रहा है. हालांकि प्राकृतिक विज्ञान के छात्रों को यह फाउंडेशन पाठ्यक्रम के तौर पर पढ़ाया जाएगा और छात्रों को प्यार के प्रति संवेदनशील भी बनाएगा.’
राय को उम्मीद है कि ‘लव’ पाठ्यक्रम के तहत वह रोमांस के तौर पर प्यार से लेकर उद्योग के तौर पर प्यार तक कई पहलुओं को कवर कर सकेंगे. इसके लिए वह एंथनी गिदेन्स, जिग्मंट बुआमन और एरिक फ्रोमन की प्रेम आधारित परिकल्पनाओं, ‘द ट्रांसफार्मेशन ऑफ इंटिनेसी-सैक्चुएलिटी, लव एंड एरोटीसिजम ऑफ मॉडर्न सोसायटीज’, ‘लिक्विड लव’ और ‘द आर्ट ऑफ लविंग’ की भी मदद ले सकेंगे. देश में अब से पहले तक यह पाठ्यक्रम कहीं भी नहीं रहा. दिल्ली यूनिवर्सिटी और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के दो प्रमुख सामाजिक विज्ञान विभागों में भावनाओं की शिक्षा नहीं दी जाती. प्यार एक महत्वपूर्ण भावना होती है.’
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‘लव’ पाठ्यक्रम की पेशकश दूसरे सेमेस्टर से की जा सकती है और कहा जा रहा है कि शायद प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी में सामाजिक विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक उपल चक्रवर्ती छात्रों को यह पाठ्यक्रम पढ़ाएंगे. चक्रवर्ती ने कहा, ‘बॉलीवुड की फिल्मों से लेकर भक्ति साहित्य तक, नारी अधिकारवादी आलोचकों से लेकर संरचनावादी निबंधों तक, सूफी संगीत से लेकर शास्त्रीय और समकालीन दर्शन तक, यह पाठ्यक्रम ‘प्रेम’ को एक महत्वपूर्ण सामाजिक ढांचे में रखने की कोशिश करेगा.’
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दिल्ली में रहने वाले समाज विज्ञानी निशात कैसर के अनुसार, ‘प्यार को आम तौर पर अंग्रेजी साहित्य और दर्शन शास्त्र के विभागों में एक विषय के तौर पर लिया जाता है. लेकिन एक पाठ्यक्रम के तौर पर यह देश में अब तक कहीं नहीं पढ़ाया गया.’ जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में सामाजिक विज्ञान पढ़ाने वाले कैसर के अनुसार, यह पाठ्यक्रम गैरपरंपरागत नहीं होगा, बस इसे सही तरीके से समझने की जरूरत है.