लखनऊ: कहते हैं कि प्रतिभा किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती और व्यक्ति किसी कार्य को लेकर जुनून की हद से गुजर जाए तो कामयाबी उसकी कदम बोसी करती है। वोह अक्सर अपने दोस्तों से ‘हनुमान जी’ द्वारा पहाड़ उठाने के किस्से सुना करता था। धीरे-धीरे उसके दिमाग में यह बात आई कि अगर पहाड़ उठ सकता है तो मकान क्यों नहीं। और बस इस विचार को लेकर जाहिद (24) पर एक जुनून सवार हुआ। मकान को उठाने का सबसे पहला प्रयोग उसने अपने घर पर किया। प्रयोग कामयाब रहा और फिर जाहिद ने कई मकानों को ऊपर उठाने का काम किया।
जाहिद अली ने बताया कि वह अपने 3 अन्य बड़े भाइयों सहित अपने पिता मुख्तार अली के साथ विकास खंड धौरहरा के हरदी गांव में रहता है। पढ़ाई में मन न लगता था इसी वजह से बड़ी मुश्किल से उसने कक्षा 5 तक की ही शिक्षा ग्रहण की। अल्प शिक्षित होने के बावजूद वह कोई ऐसा काम करना चाहता था जिससे उसकी अपनी पहचान बने।
एक दिन उसके मन में विचार आया जो मकान पहले से बने है और सड़क से नीचे हो गए हैं, ऐसे मकानों को किसी तरह से ऊपर क्यों नहीं उठाया जा सकता है। इसके बाद उसने सबसे पहले अपने ही मकान पर इसका प्रयोग करके देखा और इसमें वह पूरी तरह सफल रहा। फिर वह हरियाणा में काम करने वाले अपने बड़े भाई साबिर के पास चला गया और वहीं रहने लगा। वहां उसने इस काम की शुरुआत की।
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उसने हरियाणा में पहला मकान 7 फीट तक उठाकर पूरे मकान को 20 फीट पीछे की तरफ शिफ्ट करने का हैरतअंगेज कारनामे को अंजाम दिया। यह पूछे जाने पर कि मकान को उठाने या आगे पीछे शिफ्ट करने में किन-किन चीजों की जरूरत पड़ती है और यदि मकान में कोई नुकसान पहुंचे तो उसकी क्या गारंटी होती है। इस पर जाहिद अली ने बताया कि मकान को उठाने या आगे पीछे शिफ्ट करने में जैक, लोहे के चैनल और बड़ी संख्या में मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है। उसने बताया कि यदि 2100 स्क्वायर फीट के मकान को उठाना है तो लगभग 600 जैकों की जरूरत पड़ती है और लगभग 45 से 50 मजदूरों की भी आवश्यकता पड़ती है। प्रत्येक जैक पर क्रमानुसार नंबर पड़े होते हैं और हर मजदूर 8 से 10 जैकों को चलाता है। इन जैकों को ठेकेदार के दिशानिर्देश पर पड़े नंबरों को बोलने पर मजदूर उसे घुमाते हैं।
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उसने बताया कि किसी मकान को उसका मालिक जितना चाहे उठवा सकता है तथा एक इमारत के लिए 100 रुपये प्रति वर्ग फीट के हिसाब से चार्ज किया जाता है। 1000 वर्ग फीट के मकान को 3 से 4 फीट उठाने में लगभग एक माह तक का समय भी लग जाता है। अभी तक वह उत्तर प्रदेश सहित हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, जालंधर, अमृतसर, चेन्नई तथा रोह तक जैसे कई जगहों पर हजारों मकानों को कई फीट तक उठाकर आगे पीछे कर चुका है।
उसने बताया कि मकान को उठाते समय उसमें किसी भी प्रकार की कोई दरार नहीं पड़ती है और मकान मालिक की संतुष्टि के लिये अदालत से करार के बाद ही भवन में काम शुरू किया जाता है। इस प्रक्रिया में भवन की पूरी जिम्मेदारी हमारी होती है।