बिना मान्यता के प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने पर निजी आयुर्वेद कॉलेजों पर नकेल

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studentनिजी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों के गोरखधंधे पर लगाम लगाने के लिए बनाई गई व्यावसायिक समिति की पहली बैठक फ्लॉप हो गई। इसमें सिर्फ तीन कॉलेज संचालक ही पहुंचे। उन्होंने भी अपने कॉलेज की कोई जानकारी समिति के पदाधिकारियों को नहीं दी। सभी को एक और मौका देते हुए 17 अगस्त को दोबारा तलब किया गया है। समिति ने अलीगढ़, फर्रुखाबाद, मुजफ्फरनगर, मथुरा और खुर्जा में स्थित निजी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों की मनमानी रोकने के लिए सभी को नोटिस जारी कर 30 जुलाई को तलब किया था।
आयुर्वेद निदेशालय ने आयुर्वेद चिकित्सक बनाने के निजी मेडिकल कॉलेजों के धंधे पर रोक लगाने के लिए चार सदस्यीय व्यावसायिक समिति का गठन किया था।
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इस टीम में सीसीआईएम के सदस्य डॉ. फूलचंद चौधरी, डॉ. कमल सचदेवा, डॉ. माखन लाल और डॉ. भोला नाथ मिश्र शामिल थे।
सूत्रों की मानें तो आठ निजी आयुर्वेद कॉलेजों में से सिर्फ तीन के ही संचालक समिति के बुलावे पर निदेशालय पहुंचे। उन्होंने अपने कॉलेज से संबंधित कोई दस्तावेज समिति को नहीं उपलब्ध कराए।
सभी कॉलेजों ने अपनी बात रखने के लिए समिति से अतिरिक्त समय मांगा है। इसके बाद कॉलेजों को एक मौका देते हुए 17 अगस्त की तारीख तय की गई है।
यही नहीं, निजी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों की एसोसिएशन ने भी अतिरिक्त समय की मांग की है। निदेशालय के अधिकारियों का कहना है कि किसी भी दशा में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा।
मिला अतिरिक्त समय
30 जुलाई की बैठक में मुजफ्फरनगर, अलीगढ़ व फर्रुखाबाद के कॉलेज संचालक ही पहुंचे थे। इनके प्रतिनिधि कोई दस्तावेज भी नहीं लाए थे। सभी ने अतिरिक्त समय मांगा था।
इसलिए एक और मौका देते हुए उन्हें 17 अगस्त को छात्रों और शिक्षकों की संख्या, भर्ती मरीजों की जानकारी, शिक्षकों का उपस्थिति रजिस्टर, पे स्लिप आदि की जानकारी के साथ बुलाया गया है। यह जानकारी शासन को दी जाएगी।
आयुर्वेद निदेशालय द्वारा गठित व्यावसायिक कमेटी निजी आयुर्वेद कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षा केधंधे पर नकेल लगाएगी। इसमें बीएएमएस और एमडी कोर्स की प्रवेश प्रक्रिया और परीक्षा लेना भी शामिल है।
निजी आयुर्वेद कॉलेज पर आरोप है कि वे लगातार शासन के निर्देशों की अनदेखी कर रहे हैं और शासन में बैठे चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी भी इन गड़बड़ियों पर ध्यान नहीं देते।
पिछले वर्ष भी निजी कॉलेजों ने एमडी की अपनी प्रवेश परीक्षा कराने की कोशिश की लेकिन सीसीआईएम के हस्तक्षेप के बाद वे इसमें सफल नहीं हो पाये थे।
सीसीआईएम ने नहीं दी मान्यता
जो निजी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज बिना मान्यता प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर रहे थे वे अलीगढ़, फर्रुखाबाद, मुजफ्फरनगर, मथुरा व खुर्जा में हैं।
कुल आठ निजी कॉलेजों की मान्यता सीसीआईएम ने 2011 में निरस्त कर दी थी। ये कॉलेज सीसीआईएम के मानकों को पूरा नहीं कर रहे थे।
इस नाते निजी कॉलेजों के 400 छात्र दो साल से फर्स्ट प्रोफेशनल की परीक्षाएं ही नहीं दे पाये हैं। सीसीआईएम व शासन के फैसलों का इंतजार रहे इन छात्रों का भविष्य अब भी अधर में फंसा है।