RTE: एक लाख तक की आय प्रमाण पत्र बनबाये, बच्चो को मुफ्त कान्वेंट में पढ़ाए, फार्म डाउनलोड करें

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RTEफर्रुखाबाद: केंद्र सरकार द्वारा लागू किये गए शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चो को स्कूल संचालको को कुल सीट में 25% प्रवेश देना अनिवार्य है| ये नियम सीबीएसई बोर्ड, आईसीएसई और स्टेट बोर्ड सभी प्रकार के स्कूलों में लागू है| गरीब से तात्पर्य जिनकी आय 35000 का इससे कम रुपये सालाना है| और कमजोर वर्ग में एक लाख की वार्षिक आय सीमा के लोग आते है| एक बार प्रवेश करा पाए तो कक्षा 8 तक खर्च होने वाला लाखो रुपये का खर्च सरकार करेगी और आपकी जेब में बचत ही बचत| इस स्कीम में मुफ्त शिक्षा, मुज्फ्त किताबे, मुफ्त ड्रेस सब आता है| स्कूल वाला किसी प्रकार के शुल्क की मांग नहीं कर सकता|
इस अधिनियम के तहत बच्चे के निवास के एक किलोमीटर के दायरे में यदि कोई सरकारी स्कूल नहीं है तो वो अपने प्रवेश के लिए प्राइवेट स्कूल का नाम दे सकता है| जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी है कि उस बच्चे का प्रवेश कराये| इसी के साथ प्री प्राइमरी यानि कि यदि आप अपने बच्चे का प्रवेश प्ले ग्रुप, नर्सरी, या के जी में करना चाहते है तो अपने पास पड़ोस या किसी भी मनचाहे कान्वेंट में करा सकते है, इसके लिए 1 किलोमीटर के दायरे में सरकारी स्कूल की बाध्यता आड़े नहीं आएगी| क्योंकि उत्तर प्रदेश में परिषदीय स्कूलों में अभी प्री प्राइमरी कक्षाएं संचालित नहीं होती है| और ये अधिनियम प्री प्राइमरी पर भी लागू होता है| लिहाजा बेहतर यही है कि यदि इस योजना का लाभ लेना है तो बच्चे को शुरू से ही कान्वेंट में प्रवेश करा दिया जाए|
इस योजना में प्रवेश के लिए बच्चे की कम से कम उम्र तीन साल होना आवश्यक है| और अभिवावक या माता/पिता की अधिकतम आय एक लाख रुपये| अधिनियम के मुताबिक प्रवेश प्रक्रिया सत्र शुरू होने से ६ माह तक चलेगी| कोई भी स्कूल प्रवेश देने से मना करता है तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है| और यदि बिना मान्यता के चल रहा है तो स्कूल पर ताला पड़ सकता है|
प्रवेश के लिए आवेदन बेसिक शिक्षा परिषद् विभाग के खंड शिक्षा अधिकारी को दिया जायेगा तो आवेदन को बेसिक शिक्षा अधिकारी के लिए अपनी रिपोर्ट के साथ अग्रसारित करेगा| इसके बाद की जिम्मेदारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की है| जिला शिक्षा समिति का सचिव जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी होता है और अध्यक्ष जिला अधिकारी| तो प्रवेश की किसी भी समस्या के लिए जिलाधिकारी से भी मिला जा सकता है| स्कूलों पर उनका सीधा नियंत्रण होता है| इसके लिए कोई यह कहकर नहीं बच सकता कि सीबीएससी या आईसीएससी के स्कूल उनके कण्ट्रोल से बाहर है| क्योंकि शिक्षा के अधिकार अधिनियम में जिला शिक्षा अधिकारी शब्द का इस्तेमाल किया गया है| उत्तर प्रदेश में जिला शिक्षा अधिकारी का कार्य जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (कक्षा 1 से 8) और जिला विद्यालय निरीक्षक (6 से 12) के पास होता है| अगर इन दोनों में से कोई अधिकारी बच्चे को कान्वेंट स्कूल में प्रवेश दिलाने में आनाकानी करता है तो जाहिर है कि वो अपने दायित्वों से भाग रहा है|
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्रवेश फॉर्म यहाँ से मुफ्त डाउनलोड कर सकते है|
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