FARRUKHABAD : गंगा के जल स्तर में बीते दिन से 10 सेमी की वृद्वि हो जाने से तटीय इलाकों में बसे ग्रामीणों का पलायन तेज हो गया है। ग्रामीणों का मानना है कि यदि इसी तरह से गंगा का जल स्तर बढ़ता रहा तो उनका बाढ़ में डटे रहना मुस्किल है। इसलिए अब उन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाना ही पड़ेगा।
नरौरा बांध से रविवार को 1 लाख 88 हजार 866 क्यूसेक पानी छोड़े जाने से सोमवार तक स्थिति और भी गंभीर होने की आशंका जतायी जा रही है। प्रशासन की तरफ से बाढ़ चैकियों पर तैनात कर्मचारियों को मुस्तैदी से नजर गड़ाये रहने के निर्देश दिये गये हैं। किसी भी पल गंगा का जल स्तर तादाद से ज्यादा बढ़ सकता है। ऐसे में काफी लम्बी जनहानि हो सकती है। शमसाबाद क्षेत्र के ग्राम चितार का तो अब कुछ ही दिनों में नामो निशान मिट जायेगा। इसके अलावा दो अन्य गांव भी गंगा की चपेट में आ चुके हैं, जो जल स्तर कम होने के दौरान गंगा के कटान में धंस सकते हैं।
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गंगा के तट पर बसे ग्रामीणों में कई तरह की बीमारियां भी घर कर गयी हैं। लेकिन प्रशासन की तरफ से गावांे में स्वास्थ्य टीम भले ही कागजों में भेज दी गयी हो लेकिन हकीकत में कोई भी सुविधा ग्रामीणों को नहीं मिल रही है। भीगी लकडि़यों व कन्डों इत्यादि से दो वक्त की रोटी बनाना भी महिलाओं को मुस्किल पड़ रही है। जानवरों के चारे की व्यवस्था नहीं हो पाती है जिससे ग्रामीण खासे परेशान दिखायी दे रहे हैं। सोमवार को पानी का सैलाब और अधिक बढ़ने की आशंका को देखते हुए ग्रामीणों ने पलायन तेज कर दिया है। लोग अपनी रिश्तेदारियों इत्यादि में सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने लगे हैं।