विवाहित ही नहीं, बल्कि लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाएं भी घरेलू हिंसा कानून के दायरे में आती हैं और वे भी इसके तहत सुरक्षा पाने की हकदार हैं।
केरल हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह बात कही है। न्यायाधीश के हरिलाल ने मंगलवार को एक शख्स द्वारा अपनी लिव-इन पार्टनर की शिकायत के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया।
उसकी लिव-इन पार्टनर ने घरेलू हिंसा कानून के तहत सुरक्षा की मांग की थी। न्यायाधीश हरिलाल ने कहा कि अधिनियम की धारा 2(ए) के तहत उल्लेखनीय है कि संबंध और शादी की प्रकृति एक ही होती है।
[bannergarden id=”8″][bannergarden id=”11″]
उनके मुताबिक, जोड़े का पति-पत्नी की तरह एक साथ रहना ही पर्याप्त है। अधिनियम के तहत उन महिलाओं को सुरक्षा देने का प्रावधान है, जो बिना शादी के अपने साथी के साथ पति-पत्नी की तरह रह रही हैं।
याचिका कर्ता ने दलील दी थी कि शिकायत कर्ता अधिनियम की धारा 2(एफ) के तहत उसकी पत्नी नहीं है और उनके कोई घरेलू संबंध नहीं हैं।