दिल्ली: बॉम्बे हाई कोर्ट ने दूरगामी प्रभाव वाले एक फैसले में कहा है कि प्रेम संबंध टूटने के कारण कोई महिला अपने उस पूर्व प्रेमी पर बलात्कार का आरोप नहीं लगा सकती, जिसके साथ उसने सेक्स किया हो और उसके बच्चे की मां बनने वाली हो। इस टिप्पणी के साथ ही जस्टिस साधना जाधव ने 39 वर्षीय मनीष कोटियान को रेप के मामले में गिरफ्तारी और दोषी ठहराने के तीन साल बाद आरोपों से बरी कर दिया।
मनीष पर रेप के आरोप को आधारहीन करार देते हुए जस्टिस जाधव ने कहा, ‘अभियोजन पक्ष ने स्वीकार किया है कि जिरह में युवती ने माना है कि कि आरोपी के साथ उसका प्रेम संबंध रहा है और वह कोटियान से शादी भी करना चाहती थी। ऐसे हालात में आईपीसी की धारा-376 के तहत उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।’
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कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की ओर से दायर केस पर गौर करने के बाद पाया कि आरोपी ने महिला को प्रपोज किया था। जस्टिस जाधव ने कहा, ‘शिकायत करने वाली महिला पढ़ी-लिखी और वयस्क हैं। वह अच्छी तरह से जानती थीं कि कोटियान उनकी तरफ आकर्षित हैं। इसके बावजूद वह कोटियान का जन्मदिन मनाने के लिए उनके साथ गोराई गईं और वहां एक होटल के कमरे में दोनों के संबंध बने। उन्हें परिणाम के बारे में अच्छी तरह से पता था।’