लखनऊ: उत्तर प्रदेश में दागी माननीयों को लेकर आया सुप्रीम कोर्ट का निर्णय यूपी के सत्ता के गलियारों में खासी हलचल मचा सकता है।
प्रदेश के कुल 403 विधायकों में से 47 प्रतिशत यानि 189 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 98 ऐसे हैं जिनके ऊपर हत्या, बलात्कार जैसी संगीन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज है। इन आंकड़ों को देखकर लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से आने वाले समय में यूपी में ही सबसे ज्यादा उठापटक मचेगी।
विधायकों के हलफनामों के आधार पर तैयार यूपी इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक चुनावों में बहुमत हासिल करने वाली समाजवादी पार्टी आपराधिक मामलों वाले माननीयों के मामले में बहुमत से बस थोड़ा ही पीछे है।
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हालांकि अन्य दलों के मुकाबले समाजवादी पार्टी कहीं आगे है। उसके 224 विधायकों में से 111 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 56 के खिलाफ गंभीर मामले हैं।
सपा के बाद दूसरा नंबर बसपा का है। उसके 80 विधायकों में से 29 पर के खिलाफ आपराधिक मुकदमे हैं, जिसमें से 14 माननीयों पर तो गंभीर मामले हैं।
इस मामले में भाजपा का ट्रैक रिकार्ड भी अच्छा नहीं। उसके 47 में से 25 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं जबकि इनमें 14 पर गंभीर आरोप हैं। जबकि कांग्रेस के 28 में से 13 विधायकों पर आपराधिक मामले हैं।
गंभीर अपराधों वाले टॉप टेन विधायकों में नंबर एक पर समाजवादी पार्टी के बीकापुर के विधायक मित्रसेन यादव हैं। उनके खिलाफ 36 मामले हैं।
इनमें से अकेले 14 मामले हत्या के हैं। दूसरे नंबर पर माफिया डॉन बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह का नाम है। सकलडीहा से निर्दलीय विधायक सुशील सिंह पर 20 मामले दर्ज हैं। इनमें से 12 मामले हत्या के हैं।
तीसरे नंबर पर जसराना के सपा विधायक रामवीर सिंह का नाम है। रामवीर के खिलाफ कुल 18 मामले दर्ज हैं। मऊ से कौमी एकता दल से चुने गए माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के खिलाफ भी हत्या के आठ मामलो सहित 15 रिपोर्ट दर्ज हैं।
विधायक पर गंभीर धाराओं के मामले जिनमें दो साल से ज्यादा की सजा है
. आईपीसी 153 ए (धार्मिक भावनाएं भड़काना) – कुल 12 मामले
. आईपीसी 302 (हत्या) – कुल 38 मामले
. आईपीसी 307 (हत्या का प्रयास) – कुल 95 मामले
. आईपीसी 364 (हत्या के लिए अपहरण) – कुल 15 मामले
. आईपीसी 376 (दुराचार के लिए दंड) – कुल 4 मामले
. आईपीसी 392 (लूट के लिए दंड) – कुल नौ मामले
. आईपीसी 395 (डकैती के लिए दंड) – कुल 21 मामले