‘वैसे’ प्रमोशन चाहिए तो अखिलेश यादव की ड्यूटी में आइए!

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लखनऊ: पुलिस महकमे में सिपाही से लेकर सब इंस्पेक्टर तक को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन की चाह रहती है। इसके चलते वे बदमाशों से लोहा लेने में तनिक भी नहीं हिचकते। लेकिन, उत्तर प्रदेश में प्रमोशन की इस लड़ाई में अपराधियों-आतंकियों को पकड़ने और उनसे लोहा लेने के बजाय पुलिसकर्मियों का वीआईपी ड्यूटी में होना खास मायने रखता है।

43 पुलिसकर्मियों को मिला मेवा
सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा में तैनात 43 पुलिसकर्मियों को एक साथ आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दे दिया जाता है, जबकि डकैतों व अपराधियों से दो-दो हाथ करने वाले पुलिसकर्मियों को अपना हक पाने के लिए कोर्ट की शरण लेनी पड़ रही है।
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महकमे से अपने काम का सही इनाम न पाने वाले करीब 40 पुलिसकर्मियों ने अदालत में याचिका दायर कर रखी है।

आरटीआई से हुआ खुलासा

आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट अनूप कौशिक के प्रयास से खुलासा हुआ है कि दिसंबर 2012 में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा में तैनात 43 पुलिसकर्मियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दे दिया गया।

वहीं, जालौन के कुख्यात राजू और सतराजू नामक डकैतों को मुठभेड़ में मारने वाली पुलिस टीम के आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पर कोई विचार ही नहीं किया गया। मजबूरन टीम को हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी।

14 जायज लोगों ने भी जीत ली लड़ाई

हाईकोर्ट के निर्देश के बाद पुलिस महकमे के आला अधिकारियों को मुठभेड़ में शामिल रहे 14 पुलिसकर्मियों को प्रमोशन देना पड़ा।

इन पुलिसकर्मियों की प्रमोशन की लड़ाई लड़ने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के एडवोकेट संजय कुमार का कहना है कि विभाग में खुद के साथ भेदभाव होता देख पुलिसकर्मी आउट ऑफ टर्न प्रमोशन के लिए कोर्ट की शरण ले रहे हैं।

ऐसे कई मामले आए सामने
ऐसे कई उदाहरण हैं जहां पुलिसकर्मियों के साथ भेदभाव हुआ। उन्हीं का हवाला देकर कोर्ट में पीड़ित पुलिसकर्मियों का पक्ष रखा गया और कोर्ट ने उनका पक्ष समझा।

संजय कुमार लखनऊ, कानपुर, मथुरा, इलाहाबाद और उसके आसपास के जिलों के करीब 15 पुलिसकर्मियों का केस देख रहे हैं।