देहरादून: आपदा में फंसे लोगों को बचाते समय हुए हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद जवानों का शव लेने पहुंचे परिजनों को केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे की वजह से एक दिन का इंतजार करने को मजबूर होना पड़ा। शहीदों को सलामी देने शिंदे बृहस्पतिवार की बजाय शुक्रवार को पहुंच पाए। इससे तीन दिनों से शव पाने का इंतजार कर रहे परिजनों के सब्र का बांध टूट गया। पाबंदी के बावजूद कुछ परिजन शिंदे के सामने अपनी पीड़ा जताने पहुंच गए।
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शुक्रवार को देहरादून स्थित जेटीसी हेलीपैड पर शहीद हुए वायुसेना, भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस व राष्ट्रीय आपदा नियंत्रण फोर्स के अफसरों और कर्मियों की पार्थिव देह को सलामी के लिए लाया गया। सभी शव बृहस्पतिवार को गौचर से दून लाए गए थे। पहले बृहस्पतिवार को ही सैन्य सलामी कार्यक्रम के बाद शव परिजनों के सुपुर्द करने का कार्यक्रम था, लेकिन गृहमंत्री के न आने की वजह से ऐसा नहीं हो पाया। परिजन बुधवार से ही जौलीग्रांट एयरपोर्ट व सहस्रधारा हैलीपैड पर शव का इंतजार कर रहे थे। शहीद एनडीआरएफ कर्मी शशिकांत पंवार का शव लेने आंध्र प्रदेश से आए किशोर पंवार का कहना था कि उन्हें सरकार से कुछ नहीं चाहिए। उनके भाई ने उन्हें बहुत दिया है, वह काफी है। बस किसी तरह घरवालों को उनके अंतिम दर्शन हो जाएं। इसी तरह आइटीबीपी के शहीद सब-इंस्पेक्टर जयेंद्र प्रसाद भट्ट के परिजनों ने भी बिलखते हुए कहा कि तीन दिन से घर पर लोग शव का इंतजार कर रहे हैं पर सरकार देर पर देर किए जा रही है।