केदारनाथ में गुपचुप दाह संस्कार

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FUNERALदेहरादून: जेएनएन द्वारा प्रकाशित समाचार के मुताबिक केदारनाथ में पसरे सन्नाटे के बीच उत्तराखंड सरकार ने गुपचुप तरीके से शवों का अंतिम संस्कार कर दिया। पूरे मामले पर तीन दिन से चुप्पी साधे प्रशासन ने बुधवार शाम को इसकी पुष्टि कर दी। अंतिम संस्कार किए शवों की संख्या का खुलासा करने से परहेज करते हुए राहत कार्यो की निगरानी के लिए गुप्तकाशी में तैनात नोडल अधिकारी रविनाथ रमन और नीलेश आनंद भरणे ने कहा कि शवों से डीएनए नमूने नहीं लिए जा सके हैं, क्योंकि डीएनए लेने के लिए टीम केदारनाथ नहीं पहुंच पाई। जबकि रुद्रप्रयाग के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. केडी शर्मा का दावा है कि डीएनए नमूने लिए गए हैं।

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इस स्थिति में केदारनाथ में मरे लोगों की संख्या पर पर्दा पड़ा रह जाएगा। डीएनए नमूने को लेकर जो हालात बने हैं, उनसे अब उन लापता लोगों के विषय में भी स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आ पाएगी जिनके परिजन फोटो लेकर उन्हें तलाश करते घूम रहे हैं। दोनों नोडल अफसरों ने बताया कि दाह संस्कार के वक्त वहां करीब सौ लोग मौजूद थे। इनमें प्रशासनिक अधिकारी, सेना के जवान और कुछ नागरिकों के साथ ही साधु संत भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि बाहर से किसी भी पुरोहित या अन्य व्यक्तियों को केदारनाथ नहीं लाया गया। अधिकारियों ने यह भी बताया, ‘अब केदारनाथ में कोई दाह संस्कार नहीं किया जाएगा।’ इससे पहले सोमवार और मंगलवार को अंतिम संस्कार के लिए हेलीकॉप्टर के जरिये केदारनाथ में लकड़ियां और अन्य सामान एकत्रित किया गया। बीते तीन-चार दिनों से केदारनाथ में शवों को निकालने का काम जारी था, लेकिन सरकार ने कभी भी इस संख्या का खुलासा नहीं किया। हालांकि यह संख्या 300 से ज्यादा बताई जा रही है। यहां तक कि बुधवार को मुख्य सचिव की नियमित ब्रीफिंग तक नहीं की गई।

दूसरी ओर मौसम की चुनौतियों के बीच बचाव अभियान में जुटे सेना और अ‌र्द्धसैनिक बलों के जवान विपरीत परिस्थितियों में भी फंसे लोगों सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाते रहे। भूस्खलन से बंद बदरीनाथ और गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात शुरू हो गया है। अब धीरे-धीरे केदारघाटी के गांवों की तस्वीर सामने आने लगी है। अकेले ऊखीमठ तहसील के 70 गांवों से 487 लोग लापता बताए जा रहे हैं। वहीं अस्सी से ज्यादा गांवों तक अभी राहत नहीं पहुंचाई जा सकी है। चमोली जिले की पिंडर घाटी और उत्तरकाशी की गंगा-यमुना घाटियों के हालात भी जुदा नहीं। प्रशासन के दावों के बावजूद परिस्थितियां गंभीर बनी हुई हैं।
जेएनएन