फर्रुखाबाद: कभी कभी शब्द से ज्यादा तस्वीरे वो वयां कर जाती है जिसके कई पन्नो में नहीं लिखा जा सकता| आदर्श राजनीति और मर्यादा दोनों शब्दों का नगरपालिका के लोकतंत्र से जैसे विश्वास ही उठ गया हो| जो कुछ आज नगरपालिका परिषद् फर्रुखाबाद में हुआ एक इतिहास बन गया| उत्तर प्रदेश में एक रात के जबरिया मुख्यमंत्री बने कांग्रेस के जगदम्बिका पाल की यादे ताजा हो गयी| जो कुछ दिल्ली और लखनऊ में राजनैतिक आचरण का शरण हो रहा है उसी का अनुसरण जिला और नगर स्तर की राजनीति में भी आज नगरपालिका में हुआ| एतिहासिक उस अखरोट की कुर्सी जिस कभी जवाहर लाल नेहरु बैठे थे और केवल नगरपालिका अध्यक्ष के लिए होती है उस पर सपा नेताओ ने कब्ज़ा कर हाल में एक समानांतर बैठक कर डाली|
बहुत कुछ लिखने की जरुरत नहीं है| तस्वीर खुद व् खुद बोलती है| जिस कुर्सी पर लाल तौलिया पड़ी है उसी कुर्सी का मामला है| नगरपालिका में नामित सभासदों के शपथ ग्रहण के बाद जैसे ही अध्यक्ष वत्सला अग्रवाल अपने लाव लश्कर के साथ नगरपालिका परिसर की सीड़ी से नीचे उतर ही पायी थी कि अध्यक्ष की कुर्सी पर उर्मिला राजपूत कब्ज़ा जमकर बैठ गयी| उनके साथ अन्य सपाइयों ने सभासदों की खाली हुई कुर्सी पर डेरा जमाया और फिर रंजीत चक ने डायस संभाला| नगरपालिका का सदन सपा सम्मेलन में तब्दील हो गया| वैसे नगरपालिका का का कार्यक्रम समाप्त हो चुका था| मगर फिर भी पीठ की अपनी मर्यादा होती है| लेकिन देश की संसद में जब कुर्सियां चलने लगे, माइक फेके जाने लगे और चीर हरण तक होने लगे तब ये घटना सामान्य सी लग सकती है| वैसे भी इस नगरपालिका का इतिहास दागदार ही रहा है| यहीं बैठको में गोलियां तक चल चुकी है| ये मात्र अध्यक्ष की कुर्सी पर कुछ देर के लिए बैठना हो सकता है|
सपाइयो का कहना है कि बैठक ख़त्म हो चुकी थी लिहाजा मर्यादा उल्लंघन जैसी कोई बात नहीं है| जरा सोचो लोकसभा संसद की कार्यवाही ठप होने के बाद कोई बाहर का व्यक्ति लोकसभा अध्यक्ष के आसन पर बैठ जाए तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी| एक पूर्व विधायक जिसने संसदीय परम्परा को देखा और जाना हो| क्या उनसे ये उम्मीद की जानी चाहिए? खैर ये समाजवादी पार्टी है| सब क्षम्य हो सकता है| मगर राजनैतिक विशेषज्ञ और कानून के जानकर इसे मर्यादा का उल्लंघन मानते है| इस घटना पर जनता अपनी राय दे सकती है|
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