पढ़िये रोचक कहानी: 20 दिन में तीसरी बार राशनकार्ड सर्वे को लेकर डीएम से मिले सभासद

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FARRUKHABAD : नगर में चल रही राशनकार्ड सत्यापन की प्रक्रिया में नये उपभोक्ताओं को कोई राशनकार्ड उपलब्ध न कराये जाने से सभासदों में रोष व्याप्त हो गया है। सभासदों ने इस सम्बंध में जिलाधिकारी पवन कुमार को ज्ञापन सौंपकर अवगत कराया है। 22 जून तक समस्या का समाधान न होने पर सभासदों ने आंदोलन करने की चेतावनी दी है। पिछले बीस दिन में सभासद मंत्री से लेकर कलेक्टर तक के कई चक्कर काट चुके है| मगर साहसी सभासदों ने हिम्मत नहीं हारी है, जनता के काम के लिए भागदौड़ जारी है|

dm pawan kumar1सभासदों ने डीएम को दिये गये ज्ञापन पत्र में कहा है कि शासनादेश के अनुसार राशनकार्डों को नये सिरे से जारी किया जाना चाहिए। जबकि वास्तविकता में जांचकर्ता पुराने कार्डों के धारकों के ही जांच पत्र भरवा रहे हैं। नये परिवारों को राशन कार्ड उपलब्ध हो पाना संभव नहीं है। नगर क्षेत्र फर्रुखाबाद में जांचकर्ता की ड्यूटी कोटेदारों के लिए निर्धारित परिवारों के लिए लगायी गयी है। कोटेदार का कोई भी निर्धारित क्षेत्र नहीं है। अतः जांचकर्ता की ड्यूटी मोहल्लेबार या बार्ड वार लगायी जानी चाहिए। जिससे निर्धारित क्षेत्र के सभी परिवारों का सत्यापन हो सके। वर्तमान व्यवस्था में बड़ी संख्या में पात्र परिवारों के जांच पत्र नहीं भरे गये हैं। सभी परिवारों के जांच पत्र भरे बिना बीपीएल/अंत्योदय/एपीएल परिवारों का सत्यापन नहीं हो सकेगा।

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सभासदों ने जिलाधिकारी से मांग की कि सभी पात्र परिवारों के जांच पत्र भरवा कर राशनकार्ड जारी करवा देंगे। यदि 22 जून तक नियमानुसार कार्यवाही नहीं की गयी तो सभासद आंदोलन के लिए विवश होंगे। इस दौरान सभासद रफी अंसारी, असलम अन्सारी, मोवीन अंसारी, राम जी बाजपेयी एडवोकेट, रमला राठौर, सुनीता यादव आदि मौजूद रहे।

सभासदों के प्रयास पर एक पुरानी कहानी पढ़िये-
एक जंगल में जानवरों ने मीटिंग कर फैसला किया कि जंगल में लोकतंत्र कायम किया जाए| जंगल का राजा चुनाव से चुना जाए| सभी जानवरों ने तुरंत हाँ हाँ कर दी| फिर इस बात की खबर जंगल के राजा तक पहुची तो शेर बौखला गया| जैसे तैसे बहुमत को देखते हुए चुनाव तय हो गया| शेरनी ने शेर का हौसला बढ़ाते हुए शेर से कहा- किस की हिम्मत है जो तुम्हारे सामने चुनाव लड़े|

अब नामांकन की बारी आई तो शेर के आगे प्रत्याशी कौन बने इसके लिए मीटिंग हुई तो जानवरों ने सियार को पानी पर चढ़ा दिया और प्रत्याशी बनबा दिया| दरअसल में लोकतंत्र लाने की आवाज भी सियार ने ही बुलंद की थी| चुनाव हुआ और सियार शेर से एक वोट से चुनाव जीत गया| सियार की सत्ता आई| शेर ने न अपनी कुर्सी दी और न ही दफ्तर दिया| जानवरों ने नए लोकतंत्र का जश्न मनाया और नया दफ्तर बना उसमे सियार की ताजपोशी हो गयी| अब सियार प्रधानमंत्री तो बन गया मगर बिना काम का|

कुछ दिनों बाद लोमड़ी एक फ़रियाद लेकर नए राजा सियार के पास आई और बोली मेरा फलां काम होना है| सियार बिलकुल राजसी अंदाज में बोला बिलकुल तुम्हारा काम हो जायेगा| मगर जब कुछ दिन बीत गए और लोमड़ी का का काम नहीं हुआ तो वो फिर सियार के पास पहुची कि मेरा काम नहीं हुआ| इस बार सियार बोला कि काम तो अब तक हो जाता मगर वो साला शेर पुरानी फाइलें ही नहीं दे रहा है| मगर तुम चिंता मत करो जल्द ही उस साले के खिलाफ कार्यवाही कर तुम्हारा काम कराता हूँ| बेचारी लोमड़ी फिर लौट आई| अब जिसे वोट दिया था उसके आश्वाशन तो मानने ही थे|

फिर कुछ दिन और बीते-

सियार शेर की माद तक जाता, आड़ में खड़ा होकर सौ पचास गालियाँ शेर को सुनाता- साले तेरी तो ऐसी की तैसी बगैरह बगैरह | अगर तूने जल्दी फाइलें नहीं दी तो तेरी खैर नहीं| शेर नहीं सुनता| चुपचाप गुर्राता रहता और सियार थक हार कर चला आता| ये सिलसिला पहले दिनों चला फिर महीनो बीतने लगे| मगर सियार को फाइलें नहीं मिली| उसे चिंता लोमड़ी को मुह दिखाने की हो रही थी| ऐसे ही एक दिन लोमड़ी ने सोचा कि चलो नए राजा सियार के पास हो आये हो सकता है पट्टे की फ़ाइल वाला काम हो गया हो|

दूसरी तरफ सियार हर रोज की तरह शेर की माद की आड़ में शेर को गलियां दे रहा था| शेरनी ने ताव में आकर शेर को ललकार दिया- बड़े शेर बने फिरते हो दो कौड़ी का सियार रोज तुम्हारी माँ बहन एक कर जाता है| मेरी तो सहेलिओ में बड़ी बदनामी हो रही है| शेर का अंतर्मन जागा उसने जोर से दहाड़ लगायी- तेरी साले की ऐसी की तैसी सियार|
फिर क्या था सियार तो जान भागकर भागा| जंगल में एक डाल से दूसरी डाल जम्प लगता हुआ भागता जा रहा था| उधर से लोमड़ी आ रही थी| उसने सियार से पूछा- मेरे काम का क्या हुआ? सियार बोला- “
देख नहीं रही बहन, मैं तुम्हारे काम से ही दौड़ भाग रहा हूँ, बस जल्द होने वाला है “|

शिक्षा- इस कहानी का मेल वर्तमान में ध्वस्त व्यवस्था से खाता है|