नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली में यमुना का जलस्तर 35 साल पुराने रिकार्ड को भले ही पार नहीं कर पाया हो, लेकिन खतरे के निशान से 2.36 मीटर अधिक 207.20 मीटर तक पहुंच गया। नदी में आई बाढ़ की वजह से आसपास के दर्जनों इलाके जलमग्न हो गए। वहां रह रहे लोग इधर-उधर सुरक्षित ठिकाना तलाशने के लिए भटकते रहे। हालांकि, प्रशासन की मदद से करीब पांच हजार लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाया गया है। बुधवार देर रात बाढ़ का पानी रिंग रोड पर भी आ गया।
बाढ़ नियंत्रण विभाग के अनुसार, वर्ष 1978 में यमुना का अधिकतम जलस्तर 207.49 मीटर रिकॉर्ड किया गया था। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा है कि बाढ़ की स्थिति पर सरकार की नजर है। पूर्वी दिल्ली में बने बाढ़ नियंत्रण कक्ष में सेना के जूनियर कमिशंड अफसर (जेसीओ) को सेना तथा सिविल अधिकारियों के बीच तालमेल बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। उस्मानपुर, यमुना बाजार, भजनपुरा, शास्त्री पार्क, मॉनेस्ट्री के बाढ़ प्रभावित इलाकों से करीब पांच हजार लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। हरियाणा के हथिनी कुंड से बुधवार को भी 81 हजार क्यूसेक पानी यमुना में छोड़ा गया। इससे पूर्व सोमवार पूर्वाह्न 8.06 लाख व मंगलवार को 1.54 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। आपात स्थिति से निपटने के लिए बुधवार को सेना दिनभर तटों पर अलर्ट रही।
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इस बीच यमुना के ऊपर बना पुराने लोहे का पुल को यातायात के लिए पूरी तरह बंद कर दिया गया है। मंडलायुक्त धर्मपाल के अनुसार, कुल 62 बोट नदी में जगह-जगह तैनात किए गए हैं। 36 गोताखोरों को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए लगाया गया है। दिल्ली सरकार के बाढ़ नियंत्रण व सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता वीपीएस तोमर ने बताया कि बुधवार शाम सात बजे यमुना का जलस्तर 207.20 दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि उत्तरप्रदेश के कुछ इलाकों में बांध टूटने की सूचना मिली है।