लखनऊ : सर्व शिक्षा अभियान के तहत 2011-12 में मंजूर स्कूलों में से छह सौ से ज्यादा नहीं बन सके। जमीन न मिलने के कारण पांच सौ स्कूलों का निर्माण तो अभी शुरू नहीं हो सका है। जमीन न मिलने के कारण ही राज्य ने 2011-12 में स्वीकृत 205 प्राथमिक व 67 उच्च प्राथमिक स्कूलों को सरेंडर करने की पेशकश की है। हालांकि केंद्र ने स्कूलों को सरेंडर करने के प्रस्ताव को यह कह कर ठुकरा दिया कि स्कूलों के निर्माण के लिए पैसा दिया जा चुका है और जमीनों का बंदोबस्त कराना जिलाधिकारियों का काम है।
समय से स्कूलों का निर्माण पूरा न होने का खामियाजा राज्य को उठाना पड़ा है। 2011-12 में मंजूर स्कूलों का निर्माण पूरा न होने के कारण ही केंद्र सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत चालू वित्तीय वर्ष में राज्य की ओर से 1497 प्राथमिक, 237 उच्च प्राथमिक व 14 आवासीय विद्यालयों के निर्माण को मंजूरी देने की राज्य की मांग को ठुकरा दिया है। केंद्र ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत 2011-12 में उत्तर प्रदेश के 10,366 प्राथमिक व 1052 उच्च प्राथमिक स्कूलों के निर्माण को मंजूरी दी थी। स्कूलों का निर्माण छह से आठ महीने की अवधि में हो जाना चाहिए लेकिन 31 मार्च तक इनमें से 644 स्कूलों का निर्माण शुरू नहीं हो पाया था। लेटलतीफी पर गंभीर रुख अख्तियार करते हुए सर्व शिक्षा अभियान के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) ने राज्य की वार्षिक कार्य योजना में प्रस्तावित नये स्कूलों और आवासीय विद्यालयों को स्वीकृति से मना कर दिया।
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हालांकि पीएबी की बैठक में शिरकत करने वाले बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने उस वक्त यह कहा था कि संसाधनों की कमी के कारण केंद्र सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में नये स्कूलों के निर्माण को मंजूरी नहीं दी। लेकिन अब जबकि केंद्र ने पीएबी की बैठक में दी गई स्वीकृतियों का कार्यवृत्त सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय को भेजा है तो नये स्कूलों के निर्माण को मंजूरी न मिलने की असल वजह जाहिर हो गई है। कार्यवृत्त में केंद्र ने स्पष्ट किया है कि पूर्व में स्वीकृत स्कूलों में 644 विद्यालयों का निर्माण पूरा न होने की वजह से नये स्कूलों को मंजूरी नहीं दी जा रही है।
सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय के अधिकारियों के अनुसार जमीन न मिलने की वजह से तकरीबन 500 स्कूलों का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। उनका यह भी कहना है कि स्कूलों के निर्माण के लिए केंद्र ने 2011-12 में सिर्फ आधी धनराशि दी, आधी अगले वित्तीय वर्ष में दी। बीच में विधानसभा चुनाव की वजह से भी स्कूलों के निर्माण कार्य में व्यवधान पड़ा।