शतरंज के प्यादे से वजीर बनी सपा विधायक लक्ष्मी की अगली चाल

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Laxmi Gautam MLAवाकई लक्ष्मी गौतम का सपा की टिकेट पर यूपी का विधायक बनना किसी मसालेदार फिल्म से कम नहीं। इसमें ड्रामा है, इमोशन है और ट्रेजडी भी। कुछ रिश्तेदारों और सपा के स्थानीय नेताओं ने उनको विधायक बनाने के लिए स्क्रिप्ट लिखी। चूंकि अनुसूचित जाति में सीट आरक्षित थी इसलिए दिलीप वार्ष्णेय की पत्नी लक्ष्मी गौतम पर दांव लगाया गया। वैश्य समाज के लोगों ने अपने घर का विधायक चुनने के लिए जी तोड़ मेहनत की तो पार्टी ने भी जान लड़ाई।

लक्ष्मी प्यादे के रूप में विधायक तो बन गईं लेकिन धीरे-धीरे ‘वजीर’ बनीं और अपने लिए शतरंज सजाने वालों से ही शह मात का खेल शुरू कर दिया। पहले पैसा लगाने वाले रिश्तेदारों को दूर किया…पार्टी के नेताओं को किनारे किया और आखिर में अब पति से जंग जारी है। चंदौसी की विधायक लक्ष्मी गौतम और उनके पति के बीच शुरू हुए विवाद की परतें एक के बाद एक उघड़ रही हैं। दरअसल लक्ष्मी गौतम को विधायक बनाकर अपनी सत्ता चलाने का पूरा प्लान बनाया गया था।

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यह हकीकत है कि लक्ष्मी गौतम यह नहीं जानती थीं कि उन्हें चुनाव लड़ना है। जबकि उन्हें चुनाव लड़ाने के लिए पूरी कवायद अंदर खाने थी। दिलीप वार्ष्णेय वैश्य हैं और लक्ष्मी गौतम अनुसूचित जाति से हैं। चंदौसी सीट आरक्षित है इसलिए वैश्य समाज के कुछ समझदारों ने विधायकी अपने ही घर में रखने की बात कहते हुए दिलीप से संपर्क साधा।

सपने दिखाए गए और जब पैसा लगाने के लिए दिलीप का भतीजा और वैश्य एकता परिषद के राष्ट्रीय सचिव आशुतोष उर्फ भोला तैयार हो गए तो फिर सपा के नगर अध्यक्ष विनोद चुलबुल व अन्य पार्टी के लोग लक्ष्मी गौतम को टिकट दिलाने आगे बढ़े। टिकट मिला और चुनाव तक जोर शोर से सभी ने कंधे से कंधा मिलाकर लक्ष्मी गौतम को जिता भी दिया। पर सत्ता आते ही सबसे पहले अपनों को दूर करने का खेल शुरू हुआ।

सबसे पहले टिकट दिलाने वालों से किनारा लक्ष्मी गौतम ने दिलीप वार्ष्णेय के कहने पर किया। जिसने चुनाव में पैसा लगाया था जब उसे विधायक से लाभ नहीं मिला तो उन्होंने अपने पैसे मांगने शुरू किए। तय किया गया कि दस-दस लाख रुपये की किस्त में भोला को पैसे चुकाए जाएंगे। इसी बीच लक्ष्मी गौतम और दिलीप वार्ष्णेय में प्रेमी को लेकर झगड़ा शुरू हो गया था।

वह मुरादाबाद आकर पति से अलग बच्चों के साथ रहने लगीं। यानी अब बारी पति दिलीप की थी..। वही चुनावी खर्च मांगने जब दिलीप वार्ष्णेय विधायक के घर टीडीआई सिटी पहुंचे तो बखेड़ा हुआ और सब कुछ सतह पर आ गया। इस ‘फिल्म’ का क्लाइमेक्स क्या होगा इससे फिलहाल सभी अनजान हैं।