इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में महिलाओं से छेड़छाड़ व अन्य ज्यादतियों की घटनाओं पर नियंत्रण न कर पाने एवं घटनाओं की प्राथमिकी न दर्ज किए जाने को काफी गंभीरता से लिया है। अदालत ने आज पुलिस महानिदेशक की मौजूदगी में कहा कि पुलिस से जनता का भरोसा उठता जा रहा है।
डीजीपी देवराज नागर मंगलवार को न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की अदालत में हाजिर हुए। कोर्ट ने हमीरपुर, फतेहपुर, बरेली व अन्य जिले में घटी आपराधिक घटना की प्राथमिकी दर्ज न होने पर उन्हें तलब किया था। डीजीपी ने अदालत को बताया कि अपराधों की रोकथाम को कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार महिलाओं के साथ छेड़खानी के अपराधों को गंभीरता से ले रही है। पुलिस को सभी घटनाओं की प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा सर्कुलर जारी करके भी उन्हें कानून की जानकारी दी जा रही है। कार्यशालाओं के माध्यम से भी उन्हें दक्ष किया जा रहा है।
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कोर्ट ने कहा कि पुलिस की संवेदनशीलता का यह आलम है कि फतेहपुर में प्राथमिकी दर्ज कराने आए व्यक्ति को कान पकड़वाकर उठक-बैठक कराई जाती है। हाल यह है कि आइपीएस से नीचे के अफसर पुलिस का फुलफार्म भी नहीं जानते। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट के कारों, बसों से काली फिल्म हटाने के निर्देशों का प्रदेश में पालन नहीं हो रहा है। जिसका अपराधी फायदा उठा रहे हैं। निर्देश दिया कि काली गाड़ियों के शीशे हटाए जाएं। कोर्ट ने कहा कि छोटे दरोगा पर कार्यवाही से काम नहीं चलेगा। बड़े पुलिस अधिकारियों पर कार्यवाही क्यों नहीं होती।
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अदालत ने इलाहाबाद के एसपी ट्रैफिक को सिविल लाइंस में यातायात व्यवस्थित करने के निर्देश दिए। कहा कि पूरे सिविल लाइंस में शरीफ परिवारों का चलना मुहाल है। बड़ी-बड़ी गाड़ियों की चेकिंग की जाए। इन गाड़ियों को हटाने की हिम्मत पुलिस नहीं करती। वह बस रिक्शेवालों को तमाचा मारना जानती है। राज्य सरकार की तरफ से शासकीय अधिवक्ता अखिलेश सिंह व एजीए विकास सहाय ने पक्ष रखा।